Rikshabila
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Rikshabila (ऋक्षबिल) is a mountain mentioned in Ramayana.
Origin
Variants
- Rikshabila (ऋक्षबिल) (AS, p.105)
History
ऋक्षबिल
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...ऋक्षबिल (AS, p.105): 'विचिन्वन्तस्ततस्तत्र ददृशुर्विवृतं बिलम्, दुर्गमृक्षबलिं नाम दानवेनाभिरक्षितम्, षुत्पिपासापरीतासु श्रान्तास्तु सलिलार्थिन:' (Ramayana|वाल्मीकि किष्किंधा 50, 6-7-8) सीतान्वेषण करते समय वानरों ने भूख-प्यास से खिन्न होकर एक गुहा या बिल में से जल पक्षियों को निकलते देखकर वहाँ पानी का अनुमान किया था। इसी गुहा को वाल्मीकि ने ऋक्षबिल कहकर वर्णन किया है। यहीं वानरों की स्वयंप्रभा नामक तपस्विनी से भेंट हुई थी। ऋक्षबिल अथवा स्वयंप्रभा गुहा का अभिज्ञान दक्षिण रेल के कलयनल्लूर (?=कडयनल्लूर) स्टेशन से आधा मील पर [p.106] स्थित पर्वत की 30 फुट गहरी गुफा से किया गया है।
तुलसीरामायण में भी इस गुहा का सुन्दर वर्णन है- 'चढ़िगिरि शिखर चहूंदिशि देखा, भूमिविवर इक कौतुक पेखा। चक्रवाक बक हंस उड़ाहीं, बहुतक खग प्रविशहिं तेहि माहीं।' किष्किंधाकांड। (दे.स्वयंप्रभा गुहा)