Sarva Khap
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Sarva Khap includes all the Khaps that exist.
Haryana Sarva Khap Panchayat
This region from Western Uttar Pradesh through Agra, Mathura, to the Sutlej River in the Punjab was known as Haryana, dominated by Jats, and it is of this region that we speak, when we refer to the Sarv Khap of Haryana. The influence of the Haryana Sarv Khap extended to the Malwa province in Central India, Rajasthan and Sindh. With the ebb and flow of history, the boundaries of this organisation also expanded and receded.
सर्वखाप
सर्वखाप : डॉ ओमपाल सिंह तुगानिया[1] ने लिखा है - सर्वखाप में वे सभी खाप आती हैं जो अस्तित्व में हैं. समाज, देश और जाति पर महान संकट आने पर विभिन्न खापों के बुद्धिजीवी लोग सर्वखाप पंचायत का आव्हान करते हैं. निःसन्देश पाल और खाप में अंतर करना काफी कठिन है. साधारण शब्दों में कहा जा सकता है कि पाल छोटा संगठन है जबकि खाप में कई छोटी पालें सम्मिलित हो सकती हैं. खाप और पाल पर्याय वाची माने जाएँ तो अधिक तर्कसंगत होगा. एक ही गोत्र का संगठन पाल हो सकता है जबकि खाप में कई गोत्रीय संगठन और कई जातियां शामिल होती हैं. ऐसा भी देखने में आया है कि कुछ गोत्र और गाँव कई खाप में शामिल होते हैं. जाट संगठन पूर्णतः स्वतंत्र अस्तित्व वाले होते हैं तथा लोगों की इच्छानुरूप इनका आकर घटता-बढ़ता है. चूँकि ये संगठन न्याय प्राप्त करने और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए लोगों को एकजुट करते हैं अतः जहाँ जिस गोत्र , गाँव, पाल को अधिक विश्वास होता है वे वहीँ सम्मिलित हो सकते हैं. सदस्यता ग्रहण करने पर कोई रोक-टोक नहीं है.
उक्त खापों, पालों के अतिरिक्त जाटों के अनेक संगठन और भी हैं जो कम प्रचारित हैं. राजस्थान में डागर, गोदारा, सारण, खुटैल, और पूनिया जाटों के छोटे-बड़े कई संगठन हैं. नागौर तो जाटों का रोम कहलाता है. मध्य प्रदेश में ग्वालियर से लेकर मंदसौर और रतलाम तक जाटों के अनेक संगठन विभिन्न नामों से अस्तित्व में हैं. कहीं कहीं संगठनों के खाप और पाल जैसे नाम न होकर गावों के मिले-जुले संगठन बने हुए हैं जैसे बड़वासनी बारहा, जिसमें लाकड़ा, छिकारा आदि १२ जाट गोत्रीय गाँव शामिल हैं. सोनीपत जिले में बड़वासनी, जाहरी, चिताना आदि इस बारहा के प्रमुख गाँव हैं. कराला सतरहा भी लाकड़ा सेहरावतों का संगठन है. इसमें मुंडका ,
[p.24]: बक्करवारा प्रमुख हैं. दिल्ली के पूर्व मुख्य मंत्री साहिब सिंह वर्मा मुंडका के मूल निवासी थे. इसी प्रकार मीतरोल पाल में भी अनेक गाँव हैं जिनमें मीतरोल, औरंगाबाद और छज्जुनगर इसके प्रमुख गाँव हैं. जिनमें लाकड़ा गोत्रीय चौहान वंशी जाट रहते हैं. जाटों के प्रसिद्द उद्योगपति चेती लाल वर्मा इसी पाल के गाँव छज्जुनगर की देन हैं. उड़ीसा के गोल कुंडा एरिया में बसे जाटों के अपने संगठन हैं. जहाँ जाटों की पाल या खाप नहीं हैं वहां जाट सभाएँ खड़ी कर रखी हैं. अतः जाटों की सही पाल अथवा खाप या संगठन संख्या बता पाना संभव नहीं है क्योंकि अब जाट पूरे देश में फैल चुके हैं.
History
External links
References
- ↑ डॉ ओमपाल सिंह तुगानिया : जाट समुदाय के प्रमुख आधार बिंदु , आगरा , 2004, पृ . 23-24