Surovanam

From Jatland Wiki
(Redirected from Shabari-Ashrama)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Surovanam (सुरोवनम्) is famous for Shabari Ashrama located near Kishkindha. There is a statue of Shabari situated in Rama-Laxmana Temple.

Origin

Variants

History

सुरोवनम्

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...सुरोवनम् (AS, p.978): किष्किन्धा के निकट शबरी के आश्रम के रूप में यह स्थान प्रसिद्ध है. यहां श्रीराम-लक्ष्मण के मंदिर में शबरी की मूर्ति भी स्थित है (देखें किष्किंधा; सबरीमलाई). शबरी का आश्रम पंपासरोवर के निकट था (शबरी के आश्रम का वाल्मीकि रामायण में जो लेख है उसके लिए देखें पंपसर). अध्यात्म रामायण में शबरी और राम के मिलन की कथा अरण्यकांड, दशम स्वर्ग में सविस्तार दी हुई है जिसका कुछ इस प्रकार है-- 'त्यक्त्वा तद्विपिनं घोरं सिंहव्याघ्रादिदूषितम्। शनैरथाश्रमपदं शबर्या रघुनन्दनः। शबरी राममालोक्य लक्ष्मणेन समन्वितम्। आयान्तमाराद्धर्षेण प्रत्युत्थायाचिरेण सा। सम्पूज्य विधिवद्रामं ससौमित्रिं सपर्यया। सङ्गृहीतानि दिव्यानि रामार्थं शबरी मुदा। फलान्यमृतकल्पानि ददौ रामाय भक्तितः। पादौ सम्पूज्य कुसुमैः सुगन्धैः सानुलेपनैः। अरण्यकांड 10,4-5-8-9. तुलसीदास रामचरितमानस, अरण्यकांड में लिखते हैं- 'ताहि देई गति राम उदारा, शबरी के आश्रम पगुधारा। शबरी देख राम गृह आए, मुनि के वचन समुझि जिय भाए। सरसिज लोचन बाहु विशाला, जटा-मुकुट सिर उर बन माला। कंद मूल फल सुरस अति, दिए राम कहु आनि, प्रेम सहित प्रभु खाए हाय बारंबार बखानि।'.

शबरी आश्रम

डॉ. रामगोपाल सोनी[2] ने लिखा है: [पृ.151]: शबरी आश्रम - कबंध राक्षस ने राम को उस जगह से पश्चिम दिशा लेकर जाने का रास्ता बताया था. वर्तमान में डिंडीगुल जगह से पश्चिम अभिमुख होकर चलने से पहाड़ की छोटी होकर चलने में शबरी का स्थान सबरीमाला मिलता है. जहां वर्तमान में अय्यप्पा स्वामी जी का मंदिर है.

जैसे शबरी ने देखा कि राम उसकी कुटिया में आए हैं तब उसको अपने गुरु मतंग ऋषि की बात स्मरण हो आई. जब उन्होंने कहा था कि राम तेरी कुटिया में एक समय आएंगे. बाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है कि शबरी ने राम को बताया कि उसके गुरु स्वर्ग जाते समय यह बोल गए थे कि राम चित्रकूट में पहुंच गए हैं और वह समय पर तुम्हारी कुटिया में आएंगे.

[पृ.158]: शबरी - आश्रम - मलय पर्वत में जहां वर्तमान में अभी अय्यप्पा स्वामी जी

[पृ.159]: का मंदिर है उसी जगह शबरी भीलनी रहती थी. इसके बाद पंपा सरोवर था और उसके नीचे पंपा नदी बहती थी. ऐसा वाल्मीकि रामायण में उल्लेख है. पंपा नदी के उस पार जो पर्वत है उसे क्षेत्रीय भाषा में बालीकेरामलाई कहते हैं अर्थात बाली वहां नहीं जा सकता. यही पर्वत रामचरितमानस में ऋष्यमूक पर्वत के नाम से जाना जाता था. इसके एक योजन अर्थात 4 कोस में बाली नहीं आ सकता था और वहीं सुग्रीव, हनुमान, जामवंत आदि कुल चार मंत्रियों के साथ बाली के डर से रहता था.

इसकी सबसे ऊंची चोटी को वर्तमान में मकर विलक्कू कहते हैं जहां से 14 जनवरी को मकर ज्योति दिखाई देती है. यहीं पर सुग्रीव अपने मंत्रियों के साथ बैठा था तब सीता जी ने अपने आभूषण पल्लू में बांधकर फेंक दिए थे, जब रावण उनका हरण कर पुष्पक विमान से ले जा रहा था. इसी जगह पर मतंग ऋषि का आश्रम था जो शबरी के गुरु थे. इन्हीं के आश्रम में बाली ने एक योजन दूर पर किष्किकिन्धा से दुंदभि राक्षस को फेंका था, जिसके कारण मतंग ऋषि ने बाली को श्राप दे दिया था.

External links

See also

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.978
  2. राम वन गमन (पुनरावलोकन), लेखक: डॉ. रामगोपाल सोनी IFS: , प्रकाशक: ऋषिमुनि प्रकाशन, उज्जैन, प्रथम संस्करण: 2021, ISBN: 9788794990338 p.151, 158,159