Vijay Ratan Choudhary

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Vijay Ratan Choudhary

Vijay Ratan Choudhary (09.07.1939 - 17.12.1971) became martyr of Indo-Pak War-1971 during Operation Cactus Lily. He was from Ambala, Haryana. He was from 9 Engineers Regiment. He was awarded Maha Vir Chakra (Posthumous) for his act of bravery.

Early life

Major Vijay Rattan Chaudhary was born on 9th July, 1939 in Ambala district, Haryana. His father's name was Dr. M. D. Chaudhary. Major Chaudhary was commissioned in the Indian Army on 14th December, 1958.

1971 India-Pakistan War

On the night of 11/12 December, 1971, the movement of tanks was disrupted near Chakra town when a trawler got bogged down in the nullah running across a minefield. At the same time the Pakistanis were regrouping to launch a counter attack on the captured town of Chakra. Therefore it became very important that the movement of traffic across the minefield was restored. Major Chaudhary started on the work to clear the lane despite coming under heavy enemy fire. Displaying utter disregard for his personal safety, he personally supervised the work, moving from man to man giving instructions. Due to his brave leadership while under heavy enemy fire, the traffic was restored and tanks and other vehicles could move into the town.

He also cleared major minefields at Thakurdwara Lohra and Basantar river, in addition to one at Chakra of 1000 to 1500 yards. While supervising the clearing of minefield lane near Basantar river, this tireless and brave officer was killed due to enemy artillery fire. Major V R Chaudhary displayed exceptional devotion to duty, extraordinary bravery and made the supreme sacrifice. For his role he was awarded the Maha Vir Chakra (MVC) posthumously in December, 1971.

मेजर विजय रतन चौधरी

मेजर विजय रतन चौधरी

09-07-1939 - 17-12-1971

महावीर चक्र (मरणोपरांत)

वीरांगना - श्रीमती किशोरी चौधरी

यूनिट - 9 इंजिनियर रेजिमेंट

बसंतर की लड़ाई

ऑपरेशन कैक्टस लिली

भारत-पाक युद्ध 1971

मेजर विजय रतन चौधरी का जन्म 9 जुलाई 1939 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत (वर्तमान हरियाणा) के अंबाला में हुआ था। 14 दिसंबर 1958 को उन्हें भारतीय सेना की कॉर्प्स ऑफ इंजिनियर्स के मद्रास इंजिनियरिंग ग्रुप की 9 इंजीनियर रेजिमेंट में कमीशन प्राप्त हुआ था।

दिसंबर 1971 में, मेजर चौधरी की यूनिट, 9 इंजीनियर को लेफ्टिनेंट कर्नल पंडित की कमान में पश्चिमी सेक्टर में तैनात किया गया था। 3/4 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना ने 47 इंफेट्री ब्रिगेड के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार की थी। दो अन्य ब्रिगेड 74 और 91 इंफेट्री ब्रिगेड ने हमले के मोर्चे को भयंकरता से विस्तृत बना दिया था। मेजर चौधरी 405 फील्ड कंपनी की कमान संभाल रहे थे और उन्हें ठाकुरद्वारा के आसपास की बारूदी सुरंगों को हटाने का कार्य सौंपा गया। यह पहली बार था, जब दुश्मन के सुरंग क्षेत्र को तोड़ने के लिए Trawls का प्रयोग किया गया।

मेजर विजय रतन चौधरी और उनकी फील्ड कंपनी ने सुरंग क्षेत्र को सफलतापूर्वक साफ किया और 16 बख्तरबंद ब्रिगेड के टैंकों के आगे बढ़ने के लिए मार्ग प्रशस्त किया। बसंतर नदी के पार लड़ाई इतनी प्रचंड थी कि सैपरों को एक किलोमीटर से अधिक चौड़ी सुरंग के बीच से कई मार्ग निकालने पड़े। एक बार तो इस अत्यधिक चुनौतीपूर्ण कार्य को करने के लिए 404 और 405 फील्ड कंपनी की एक संयुक्त टीम का गठन किया गया। मेजर विजय रतन चौधरी और उनके साथियों ने नियत समय में अपना कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया और आगे बढ़ते भारतीय टैंक रास्ते में आए पाकिस्तानी पैटन टैंकों को उड़ाते गए।

3 दिसंबर 1971 से 17 दिसंबर 1971 चले इस आक्रमण में मेजर विजय रतन चौधरी ने व्यक्तिगत रूप से इस ऑपरेशन का पर्यवेक्षण किया और अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की पूर्णतः उपेक्षा करते हुए अपने सैपरों को प्रेरित किया। मेजर विजय रतन चौधरी की फील्ड कंपनी निरपवाद रूप से अपनी सीमाओं से अधिक विस्तारित थी, परंतु खतरों पर ध्यान नहीं देते हुए, वह बार-बार एक स्थिति से दूसरी स्थिति पर जाते रहे। 17 दिसंबर 1971 को, युद्धविराम से कुछ घंटे पहले दुश्मन की गोलाबारी में मेजर चौधरी गंभीर रूप से घायल हो गए और अंततः वीरगति को प्राप्त हुए।

मेजर विजय रतन चौधरी एक प्रतिबद्ध सैनिक और एक उत्कृष्ट अधिकारी थे जिन्होंने एक सच्चे सैन्य नेता की भांति आगे हो कर नेतृत्व किया। उन्हें आज मद्रास सैपर्स और 9 इंजीनियर रेजिमेंट का प्रतीक माना जाता है। मेजर विजय रतन चौधरी को उनके असाधारण साहस, लड़ाई की अडिग भावना और सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

मेजर विजय रतन चौधरी के बलिदान को भारत में युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा।

शहीद को सम्मान

मेजर विजय रतन चौधरी को उनके असाधारण साहस, लड़ाई की अडिग भावना और सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

गैलरी

स्रोत

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ

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