Sauram

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Location of Sauram near Shahpur town in Muzaffarnagar district

Sauram (सोरम) or Shoron (शौरौ) or Shoram (सोरम) Shoram or Shaoron (शौरौं} is a village in Budhana tahsil in Muzaffarnagar in Uttar Pradesh. It is dominated by Jats and is situated near Shahpur town of the district Muzaffarnagar. It is Slightly off the road to Budhana-Muzaffarnagar.

Jat Gotras

History

Choudhary Kabul Singh (born.1899-death.1991)

The famous Jat historian Choudhary Kabul Singh was from SHORAM and It has been mentioned in the chronicles of Jat 'Sarv Khap', which are still preserved with Chaudhry Kabul Singh that the Jat Sarv Khap, reinforced Prithvi Raj with 22,000 brave Jats, who contributed a great deal for Prithvi Raj to win the day. To avenge his humiliation and defeat he attacked again and won at Tarain (1192). Ghori made Qutb-ud-Din his regent at Delhi. Negotiations with kings were done - at 'Sarva Khap' level. Chaudhry Kabul Singh , whose ancestors were leaders of the Sarva Khaap Panchayat, holds some copper plates and papers bearing records of important negotiations.

सन १३०५ में चैत्रबदी दूज को सोरम (मुजफ्फरनगर) में एक विशाल सर्वखाप पंचायत हुई थी जिसमें सभी खापों के ४५००० प्रमुखों ने भाग लिया था तथा राव राम राणा को सर्वखाप पंचायत का महामंत्री नियुक्त किया गया था तथा गाँव सौरम को वजीर खाप का पद प्रदान किया था. इसी पंचायत में ८४ गांवों की बालियान खाप को प्रमुख खाप के रूप में स्वीकार किया गया. यदि इस पंचायत के आयोजन पर गहन विचार करें तो यह स्पस्ट हो जाता है कि तत्कालीन हरियाणा का क्षेत्र काफी विस्तृत था जिसमें सम्पूर्ण पश्चिमी उत्तर प्रदेश समाहित था. [1]

सन १९२४ में बैसाखी अमावस्या को सोरम गाँव में सर्वखाप की पंचायत हुई थी जिसमें सोरम के चौधरी कबूल सिंह को सर्वखाप पंचायत का सर्वसम्मति से महामंत्री नियुक्त किया था. वे इस संगठन के २८ वें महामंत्री बताये जाते हैं. इनके पास सम्राट हर्षवर्धन से लेकर स्वाधीन भारत तक का सर्वखाप पंचायत का सम्पूर्ण रिकार्ड उपलब्ध है जिसकी सुरक्षा करना पंचायती पहरेदारों की जिम्मेदारी है. इस रिकार्ड को बचाए रखने के लिए पंचायती सेना ने बड़ा खून बहाया है. [2]

८-९ मार्च १९५० को स्वाधीन भारत की पहली सर्वखाप पंचायत का आयोजन पंडित जगदेव सिंह सिद्धान्ती मुख्याधिष्टाता गुरुकुल महा विद्यालय किरठल की प्रधानता में गाँव सोरम में हुआ था. इसमें ६०००० पंचों ने भाग लिया था. तत्पश्चात पूर्व न्यायाधीश श्री महावीर सिंह को हरियाणा सर्वखाप का प्रधान बनाया गया. [3]


The sarv khap (clan) mahapanchayat was held at Shoram. The two-day convention held on October 5 and 6, 2005 created quite a stir by suggesting extra tough measures against rampant sex determination tests.

The host was maverick farmer leader Chaudhary Mahendra Singh Tikait who heads the Baliyan Khap. The body had sent invites to the 20-odd khaps known now more for sibling rivalry and mutual mistrust. The guest list included former CM of Delhi Sahib Singh Verma, Avtar Singh Bhadana and Kishan Singh Sangwan, Rajya Sabha MP Harendra Malik, state minister in Uttaranchal Dhirenda Singh and Jagadguru Rajrajeshwaranand.

Last time such a panchayat was held in 1956.

कई अहम फैसलों की साक्षी बनी सोरम की चौपाल एक बार फिर ऐसे ही निर्णयों की चश्मदीद बनेगी। सैकड़ों वर्षो का इतिहास समेटे इस मुगलकालीन विरासत पर दो माह बाद सर्वखाप पंचायत प्रस्तावित है। इसमें जहां देश भर की 365 खापों के मुखिया समेत लाखों लोगों के आने की उम्मीद है, वहीं सगोत्रीय विवाह समेत कई अहम मुद्दों पर भी फैसला होना तय माना जा रहा है।

शाहपुर क्षेत्र के गांव सोरम खुद में मुगलकाल से ही अमिट पहचान समेटे है। यहां की चौपाल अपने आप में इतिहास है। सैकड़ों वर्ष पहले बिखरी हुई खापों को एक मंच पर लाकर सर्वखाप का गठन हुआ और सोरम को मिली सर्वखाप मंत्री की जिम्मेदारी। अब तक सर्वखाप मंत्री का ताज सोरम के सिर ही सजा है।

मुगल भी रहे मेहरबान

ऐतिहासिक दस्तावेजों में तफ्शील से जिक्र है कि सन 1528 में बाबर बादशाह और 1857 में बहादुरशाह जफर सोरम आए। बाबर यहां की पंचायत व्यवस्था से खुश होकर इज्जत का एक रुपया देने के साथ ही ताउम्र पगड़ी के 125 रुपये देने की घोषणा कर गए थे। 989 हिजरी में बादशाह अकबर, 1030 हिजरी में जहांगीर तथा 1106 हिजरी में शहंशाह बहादुरशाह के शाही फरमान सर्वखाप मंत्री को मिले। इसका पूरा ब्योरा आज भी सर्वखाप मंत्री के पास मौजूद है।

स्वतंत्रता संग्राम में मिलाया सुर

सोरम की चौपाल ने स्वतंत्रता संग्राम में भी सुर से सुर मिलाया। ऐतिहासिक चौपाल पर बिजरौल, शामली, भोकरहेड़ी सहित दर्जनों गांवों के क्रांतिकारियों की पंचायत के बाद अंग्रेजी हुकूमत घबरा गई थी। यह पंचायत स्वतंत्रता संग्राम तेज करने में अहम साबित हुई।

पचास साल बाद हुई पंचायत

वर्ष 1950, 56 व 57 के बाद वर्ष 2006 में यहां दो दिवसीय सर्वखाप पंचायत हुई। बालियान खाप के मुखिया चौ.महेन्द्र सिंह टिकैत के संयोजन में कई सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया था।

Notable persons

External links

References

  1. डॉ ओमपाल सिंह तुगानिया : जाट समाज की प्रमुख व्यवस्थाएं , आगरा , 2004, पृ . 20
  2. डॉ ओमपाल सिंह तुगानिया : जाट समाज की प्रमुख व्यवस्थाएं , आगरा , 2004, पृ . 30
  3. डॉ ओमपाल सिंह तुगानिया : जाट समाज की प्रमुख व्यवस्थाएं , आगरा , 2004, पृ . 30

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