List of Places in Jharkhand Based on Jat Gotras

From Jatland Wiki
Author:Laxman Burdak, IFS (R), Jaipur

Districts Map in Jharkhand State
झारखंड में जाट गोत्रों पर आधारित स्थान

झारखंड के अनेक ग्रामों/स्थानों/नदियों/पर्वतों आदि के नाम जाटों में प्रचलित गोत्रों से मिलते हैं। यह एक अनुसंधान का विषय है। यह भी उल्लेखनीय है कि झारखंड में वर्तमान में जाटों का आवास नहीं है। केवल नाम में समानता को कोई प्रमाण नहीं माना जा सकता परंतु झारखंड के इस भू-भाग में नामों और जाट गोत्रों में इतनी अधिक समानता कुछ संकेत अवश्य देती है। समानता का कारण संभवत: यह हो सकता है कि झारखंड वस्तुत: प्राचीन नागवंशी शासकों द्वारा शासित छोटा नागपुर प्रदेश का भाग है। छोटानाग नामक नागवंशी राजा के नाम पर छोटा नागपुर नाम पड़ा है। जाटराम और जाटेय नाम के गाँव झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले की सोनुआ विकास-खंड में हैं। जाटसाई नाम का गाँव झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले की मझगांव विकास-खंड में है।बेनीवाल नागवंशी जाटों द्वारा स्थापित बेनीसागर इसका प्रमाण माना जा सकता है जिसके ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध हुये हैं। बेनीसागर नाम का गाँव झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले की मझगांव विकास-खंड में है। प्राचीन जनजातियों को समय-समय पर वैदिक संस्कृति में लाने के प्रयासों (आर्यकरण) के समय काफी संख्या में नागवंशी लोग जाट जाति में समाहित हो गए थे। स्थान और जाट गोत्र में सही-सही संबंध जानने के लिए गहन अनुसंधान की आवश्यकता है। नीचे समानता रखने वाले ऐसे स्थानों की संभावित सूची दी गई है। स्थान विशेष से समानता रखने वाले जाट गोत्र का नाम ब्रेकेट में दिया है। जाट गोत्र के संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए ब्रेकेट में दिये गोत्र के नाम पर क्लिक करें। स्थान विशेष की जानकारी तहसील के नाम पर क्लिक करके की जा सकती है।

झारखंड के स्थानों का जाट गोत्रों से समानता का आधार

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...छोटा नागपुर (AS, p.349)- इस प्रदेश का नाम, किवदंती के अनुसार, छोटानाग नामक नागवंशी राजकुमार-सेनापति के नाम पर पड़ा है. छोटानाग ने, जो तत्कालीन नागराजा का छोटा भाई था, मुगलों की सेना को हराकर अपने राज्य की रक्षा की थी. सरहूल की लोककथा छोटानाग से संबंधित है. इस नाम की आदिवासी लड़की ने अपने प्राण देकर छोटानाग की जान बचाई थी. सर जॉन फाउल्टन का मत है कि छोटा या छुटिया रांची के निकट एक गांव का नाम है जहां आज भी नागवंशी सरदारों के दुर्ग के खंडहर हैं. इनके इलाके का नाम नागपुर था और छुटिया या छोटा इसका मुख्य स्थान था. इसीलिए इस क्षेत्र को छोटा नागपुर कहा जाने लगा. (देखें: सर जॉन फाउल्टन - बिहार दि हार्ट ऑफ इंडिया, पृ. 127) छोटा नागपुर के पठार में हजारीबाग, रांची, पालामऊ, मानभूम और सिंहभूम के जिले सम्मिलित हैं.


नागवंश: दलीप सिंह अहलावत[2] लिखते हैं कि नागवंश एक सुप्रसिद्ध वंश है जो सूर्यवंश एवं चन्द्रवंश की तरह ही अनेक क्षत्रिय आर्यों के वंशों का समूह है। ऐतिहासिकों का मत है कि ये क्षत्रिय अपनी ‘नाग’ चिन्हित ध्वजा के कारण ही नाग नाम से प्रसिद्ध हुए। यह यक्ष, गंधर्व और देवताओं की कोटि का सुसंस्कृत वंश था।

नागवंशी जाटों के राज्य: दलीप सिंह अहलावत[3] लिखते हैं कि नागवंशी जाटों का राज्य कान्तिपुर, मथुरा, पद्मावती, कौशाम्बी, अहिक्षतपुर, नागपुर, चम्पावती (भागलपुर), बुन्देलखण्ड तथा मध्यप्रान्त पश्चिमी मालवा, नागौर (जोधपुर) पर रहा। इनके अतिरिक्त शेरगढ़ कोटा राज्य की प्राचीन भूमि पर, झारखंड में चुटिया नागपुर (छोटा नागपुर); मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ में खैरागढ़, चक्रकोटय एवं कवर्धा में भी इस वंश का राज्य था। महाविद्वान् महाराजा भोज परमार (जाट) की माता शशिप्रभा नागवंश की कन्या थी। राजस्थानी महासन्त वीरवर तेजा जी (धौल्या गोत्री जाट) का अपनी बहादुर पत्नी बोदल समेत एक बालू नामक नागवंशी वीर से युद्ध करते हुए ही प्राणान्त हुआ था। वहीं पर वीर तेजा जी की समाधि बनी हुई है। आज भी राजस्थान में इस वंश के जाटों की संख्या अधिक है। उत्तरप्रदेश जि० बदायूं में रम्पुरिया, खुदागंज, धर्मपुर, जि० बुलन्दशहर के अहार गांव में नागवंशी जाट हैं। यह ‘अहार’ वही प्राचीन गांव है जहां कि दुर्योधन द्वारा विष खिलाकर अचेत भीमसेन को गंगा में फेंक दिया गया था, जिसे नागवंशियों ने बचा लिया था।

बेनीसागर (AS, p.643), जिला सिंहभूम, झारखंड में स्थित है। 9वीं व 10वीं शतियों के प्राचीन हिंदू मंदिरों के अवशेषों के लिए यह स्थान उल्लेखनीय है। उत्तर गुप्तकालीन मूर्तियां भी यहां से प्राप्त हुई हैं जो पटना के संग्रहालय में संगृहीत हैं। ये मूर्तियां भारी भरकम सी हैं और कला की दृष्टि से नालंदा की कलाकृतियों से हीनतर हैं. [4] बेनीसागर नाम का गाँव झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले की मझगांव विकास-खंड में है।

Why Tak Jats moved to Eastern Coast ?

Puri Kushan (पुरी कुषाण), properly called Imitation Kushan, are copper coins discovered in the littoral districts of Ganjam, Puri, Cuttack, Bhadrakand Balasore as well as hill districts in of Mayurbhanj and Keonjhar in Orissa; Ranchi and Singhbhum in Bihar and a few in Andhra Pradesh and West Bengal.[5]

B S Dahiya[6] writes: Tanks or Taks are mentioned by Col. Tod as one of the Thirty –six royal houses of Indian Kshatriyas, but he said about them that they have disappeared from history owing to their conversion to Islam in the Thirteenth Century. But this is not true because they have not disappeared completely as yet; it is true a large number of Tanks are now followers of Islam but there still exist many Tanks among the Hindu Jats also. [7]

A Tak kingdom is mentioned by Hiuen-Tsang (631-643 A.D.). It is mentioned by him as situated towards east of Gandhara. Hiuen-Tasng gives its name as Tekka, and the History of Sindh, Chach-Nama, mentions it as Tak. Its capital was Shekilo (Sakala, modern Sialkot) and formerly King Mihiragula was ruling from this place. In seventh century A.D. its people were not preeminently Buddhists, but worshiped the sun, too. Abhidhana Chintamani says that Takka is the name of Vahika country (Punjab). For what follows, we are indebted to Chandrashekhar Gupta for his article on Indian coins. [8] The Tanks must have come to India, Prior to fourth century A.D. i.e. with the Kushana. And with the Kushanas, they must have spread up to Bengal and Orissa, like the Manns and Kangs who spread into southern Maharashtra and the Deccan. In Orissa, the Tanks, had their rule in Orissa proper, Mayurbhanj, Singbhoom, Ganjam, and Balasore Districts. They are called by historians as “ Puri Kushans” or Kushanas of Puri (Orissa). Their coins have been found at Bhanjakia and Balasore (Chhota Nagpur) and these coins have the legend Tanka written in Brahmi script of the fourth century A.D. Allan suggested the reading Tanka as the name of a tribe “ [9] and others generally accepted the reading Tanka as correct. [10] Allan placed them in the third or early fourth century A.D., while V.A. Smith placed them in the fourth or fifth century A.D. ; R.D. Bannerji called them “ Puri Kushanas[11]


Dr Naval Viyogi [12] tells that it is not improper to assume that probably these people migrated from the North-West Region of India to the Eastern Coastal area for some unknown reasons. Probably this was due to some political pressure or economic causes. In the vast region comprising - Orissa, Mayurbhanj, Singhbhumi, Ganjam and Balasore districts, they established their colonies. This is supported by the findings of the so called 'Puri Kushan' copper coins from this area.

Dr Naval Viyogi [13] writes that it seems from the evidence of Puri Kushan coins that some branch Tanka of Taka royal family owing to attack of Kushanas up to Magadha, reached Mayurbhanj, Singhbhumi, Ganjam and Balasore and established colonies there, where remains of their offshoot, the royal family of Dhavaldev is still existing at Dalbhumigarh near Kharagpur.


As for the proof that they were Jats, we invite attention to the fact that they still exist as such. Their association with the Kushanas (Kasvan Jats) further supports it. Their central Asian origin is proved by the fact that Niya Khrosthi documents from Central Asia refer to coin denomination as Tangumule. [14] Here the word Tanga is the same as Tanka, and Muli meant “Price” in Central Asia. [15]

पूर्वी सिंहभूम जिला

पूर्वी सिंहभूम ज़िला भारत के झारखण्ड राज्य का एक जिला है। इसका मुख्यालय जमशेदपुर है।

बहरागोड़ा विकास-खंड, पूर्वी सिंहभूम

चाकुलिया विकास-खंड, पूर्वी सिंहभूम

धालभूमगढ़ विकास-खंड, पूर्वी सिंहभूम



डुमरिया विकास-खंड, पूर्वी सिंहभूम

घाटशिला विकास-खंड, पूर्वी सिंहभूम

मुसाबनी विकास-खंड, पूर्वी सिंहभूम

पटमदा विकास-खंड, पूर्वी सिंहभूम

पोटका विकास-खंड, पूर्वी सिंहभूम

पश्चिमी सिंहभूम जिला

बंदगांव विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

चाईबासा विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

चक्रधरपुर विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

गोइलकेरा विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

गुदरी विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला


हाटगम्हारिआ विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

जगन्नाथपुर विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला


झिंकपानी विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

खूंटपानी विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

कुमारडूंगी विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

मंझारी विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

मझगांव विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

मनोहरपुर विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

नोवामुण्डी विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

सोनुआ विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

तांतनगर विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

टोंटो विकास-खंड, पश्चिमी सिंहभूम जिला

सराइकेला खरसावाँ जिला

सराइकेला विकास-खंड, सराइकेला खरसावाँ

खरसावाँ विकास-खंड, सराइकेला खरसावाँ

गम्हरिया विकास-खंड, सराइकेला खरसावाँ

कुचाई विकास-खंड, सराइकेला खरसावाँ

ईचागढ़ विकास-खंड, सराइकेला खरसावाँ

नीमडीह विकास-खंड, सराइकेला खरसावाँ

चांडिल विकास-खंड, सराइकेला खरसावाँ

राजनगर विकास-खंड, सराइकेला खरसावाँ

कुकड़ू विकास-खंड, सराइकेला खरसावाँ

See also

संदर्भ


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