Belagahna
Author: Laxman Burdak IFS (R) |


Belagahna (बेलगहना) is a town and tahail in Bilaspur district in Chhattisgarh. It is located on Ram Van Gaman Path.
Location
Belgahna railway station is a railway station on Bilaspur–Katni line under Bilaspur railway division of South East Central Railway Zone of Indian Railways. Belgahana is a Village in Takhatpur Tehsil in Bilaspur District of Chattisgarh State, India. It is located 28 KM towards west from District head quarters Bilaspur. 126 KM from State capital Raipur. Belgahana is surrounded by Kota Tehsil towards North , Pathariya Tehsil towards South , Bilaspur Tehsil towards East , Belha Tehsil towards South.[1]
Villages in tahsil
History
बेलगहना का सिद्ध बाबा आश्रम

बिलासपुर जिले में बेलगहना का सिद्ध बाबा का आश्रम आस्था और विश्वास का अनूठा संगम है। सुरम्य वादियों के बीच स्थित आश्रम में शांति ही शांति मिलती है। आस्था के साथ ही पर्यटन स्थल भी है। घनी वादियों के बीच पहुंचने के बाद परम आनंद की अनुभूति यहां होती है। सिद्ध बाबा के आश्रम में देवों के देव महादेव की अद्भुत महिमा है। यहां पारद का शिवलिंग है। मान्यता है कि पारद के शिवलिंग का आकार प्रतिवर्ष बढ़ते ही जा रहा है। यह भी सच है कि मन में सच्ची श्रद्धा और आस्था रखकर आने वालों की मनोकामना भी पूरी होती है। यही कारण है बाबा का आश्रम मनौतियों की पहचान बन गई है।
सिद्ध बाबा आश्रम पहुंचने के लिए रेल और सड़क मार्ग दोनों हैं। बिलासपुर से रेल मार्ग से बेलगहना स्टेशन पहुंचा जा सकता है। यहां से पांच किलोमीटर की दूरी पर सिद्ध बाबा का आश्रम है। टैक्सी या खुद के वाहन से यहां पहुंचा जा सकता है। सिद्ध बाबा की पहाड़ियों में जैसे-जैसे ऊपर चढ़ते जाएंगे अद्भुत रोमांच की अनुभूति भी होती जाएगी। आस्था और भी गहरी। पहाड़ियों में कई मंदिर और उसमें विराजित देवताओं के दर्शन मात्र से मन को शांति मिलती है। व्याकुल मन एक क्षण में शांत हो जाता है। तब लगता है कि यहीं कहीं मन को सुकून देने वाला कोई तो है जिसके लिए मन बरबस खींचे चला जाता है।
बिलासपुर से कोटा-बेलगहना मार्ग पर नवागांव के पास सुरम्य वादियों के बीच स्थित सिद्ध बाबा आश्रम का अपना एक अलग ही महत्व है। यहां देवी दुर्गा, जगन्नाथ मंदिर और दत्तात्रेय मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है। सिद्धबाबा की वादियों में तारादेवी का मंदिर सिद्धपीठ के रूप मे विराजित है। माता तारादेवी की प्रतिमा को सिद्धपीठ के रूप में स्वामी सदानंदजी महाराज ने स्थापित किया था। माता का मंदिर जमीन से नीचे स्थित है। वहां पहुंचने के लिए संकरी सीढ़ियों से होकर जाना पड़ता है। यहीं पर भगवान शनिदेव का भी मंदिर है।
इस मंदिर के पास ही ब्रह्मलीन स्वामी सदानंद महाराजजी की समाधि बनाई गई है। पहाड़ के ऊपर चढ़ने का रोमांच भी कम नहीं है। घुमावदार पहाड़ियों और तंग रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। रोमांच के साथ ही जोखिम भी कम नहीं है। जोखिम उठाकर आप पहाड़ के शीर्ष पर पहुंच गए तब वहां मंदिर में महाकाली के भव्य स्वरूप का दर्शन मिलेगा। यहां माता का कालरात्रि के रूप में हैं। पहाड़ के शीर्ष से नीचे का नजारा देखते ही बनता है। आस्था और विश्वास के इस संगम स्थली में प्रतिदिन सैकड़ाें की संख्या में लोग आते हैं। आस्थावानों के साथ ही पर्यटकों की भीड़ भी जुटती है।
आस्थावानों के साथ ही सांस की बीमारी से पीड़ित लोग आश्रम में साल के एक दिन का पूरे वर्षभर इंतजार करते हैं। वह है शरद पूर्णिमा का खास पर्व। इस दिन छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र सहित अन्य जगहों से लोग आते हैं। आश्रम में शरद पूर्णिमा की रात सांस से संबंधित बीमारी की अचूक दवा दी जाती है। प्रसाद के रूप में खीर और जड़ी-बूटी दी जाती है। इसे पाने के लिए पूरी रात आश्रम में लोगों की भीड़ जुटी रहती है। इस दिन आस्था और विश्वास दोनों की जीत होती है।
Source - naidunia.com, 08 Oct 2022, By Abrak Akrosh
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Population
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