Bhera Ram Ghintala
Bhera Ram Ghintala (Pioneer) (20.06.1961 - 10.12.1990) was in Border Road Organization and helping clearing Road in Leh-Laddakh areas in high altitudes. He became martyr on 10.12.1990 due to ice avalanche. He was from Kasumbi Jakhlan village in Ladnu tahsil of Nagaur district in Rajasthan. Unit - Pioneer Corpse
पायनियर भैरा राम घिंटाला
पायनियर भैरा राम घिंटाला
20-06-1961 - 10-12-1990
वीरांगना - श्रीमती तुलछा देवी
शौर्य चक्र (मरणोपरांत)
यूनिट पायनियर कोर
पायनियर भैरा राम का जन्म 20 जून 1966 को राजस्थान के नागौर (अब डीडवाना-कुचामन) जिले की लाडनूं तहसील के कसुंबी जाखला गांव में एक किसान परिवार में श्री नारायण राम घिंटाला एवं श्रीमती गुमानी देवी के घर में हुआ था। शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात 31 जुलाई 1986 को वह भारतीय सेना की पायनियर्स कॉर्प्स में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे।
पायनियर कोर या पायनियर्स भारतीय सेना की परिचालन रसद शाखा है। यह युद्धक शाखा नहीं है। जहां नागरिक श्रमिक या तो उपलब्ध नहीं होते है या सुरक्षा कारणों से उन्हें कार्य नहीं लिया जा सकता है, वहां यह कोर भारतीय सेना को अनुशासित और भलीभांति प्रशिक्षित जनशक्ति प्रदान करती है। इस कोर की अग्रणी इकाइयां अधिकतर अग्रिम और परिचालन क्षेत्रों में प्रतिबद्ध हैं।
दिसंबर 1992 में पाइनियर कंपनी के पाइनियर भैरा राम लेह लद्दाख अग्रिम क्षेत्र में विश्व की सर्वाधिक ऊंची सीमा सड़क परियोजना 'हिमांक' पर सड़क निर्माण के अंतर्गत लेह-चालुंका सड़क पर हिम हटाने का कार्य कर रहे थे। खारदूंगला दर्रे के उत्तर की ओर तैनात की गई सैन्य टुकड़ियों के लिए यह मार्ग अति महत्वपूर्ण होता है। 14000 फीट से लेकर 18380 फीट तक की ऊंचाई पर स्थित यह मार्ग विश्व का सर्वाधिक ऊंचाई वाला मोटर मार्ग है। शीत ऋतु में इस क्षेत्र का तापमान शून्य से भी 30 डिग्री सैल्सियस नीचे तक पहुंच जाता है। इन परिस्थितियों में कार्य करना अत्यंत दुष्कर और साहसपूर्ण कार्य होता है। सैन्य CONVOY के लिए मार्ग को सुगम बनाने में जुटे पाइनियर भैरा राम को 15 नवंबर 1990 से सड़क से हिम हटा रहे डोजर चालक का मार्ग प्रदर्शित करने के लिए सहायक के रूप में तैनात किया गया था।
9 दिसंबर 1990 की रात्रि से अत्यधिक हिमपात हो रहा था और सड़क पर 5 मीटर बर्फ की घनी परत जम गई थी। पाइनियर भैरा राम और पाइनियर राजेन्द्र राम को सड़क से हिम हटाने के कार्य में डोजर चालक थगाराजन की सहायता करने का आदेश दिया गया था क्योंकि सेना की एक CONVOY को आवश्यक सक्रियात्मक उपकरण लेकर खारदुंगला दर्रे के उत्तर की ओर जाना था। इस दल ने अपने जीवन पर संकट की उपेक्षा करते हुए, 10 दिसंबर 1990 की प्रातः 6:00 बजे के अंधकार में ही अपना कार्य करना आरंभ कर दिया। हिमस्खलन की संभावित विपत्ति को देखते हुए सौंपा गया कार्य अति संकटमय था। दिन के लगभग 9:00 बजे जब दोनों पाइनियर डोजर की सहायता का कार्य कर रहे थे उसी समय हिमस्खलन हुआ और पाइनियर राजेन्द्र राम आंशिक रूप से हिम में दब गए।
पाइनियर भैरा राम ने पाइनियर राजेन्द्र राम को तत्काल बाहर निकाला। यद्यपि पुनः हिमस्खलन की संभावना थी, तो भी दल हिम हटाने के कार्य में प्रवृत रहा। लगभग पांच मिनट पश्चात ही पुनः हिमस्खलन हुआ और पाइनियर राजेन्द्र राम पुनः हिम में दब गए। पाइनियर भैरा राम जो कि पुल तक पंहुच गये थे, पुनः पाइनियर राजेन्द्र राम के रक्षण के लिए दौड़ पड़े किंतु उनके वहां तक पहुंचते ही पुनः भीषण हिमस्खलन हुआ और गिरते विशाल हिमखंडों के साथ पाइनियर भैरा राम और पाइनियर राजेन्द्र राम घाटी में गिर गए और हिमखंडों के आघातों व बर्फ में दबने से दोनों ही वीरगति को प्राप्त हो गए।
पाइनियर भैरा राम को उनकी कर्तव्यपरायणता, वीरता और सौहार्द की भावना के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र सम्मान दिया गया। 13 अप्रैल 1992 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह में वीरांगना श्रीमती तुलछा देवी को उनका शौर्य चक्र मेडल प्रदान किया गया। 20 जून 2023 को कसुंबी में स्मारक स्थल पर इनकी प्रतिमा का अनावरण किया गया।
शहीद को सम्मान
पाइनियर भैरा राम को उनकी कर्तव्यपरायणता, वीरता और सौहार्द की भावना के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र सम्मान दिया गया। 13 अप्रैल 1992 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह में वीरांगना श्रीमती तुलछा देवी को उनका शौर्य चक्र प्रदान किया गया।
20 जून 2023 को कसुंबी में स्मारक स्थल पर इनकी प्रतिमा का अनावरण किया गया।
स्रोत
बाहरी कड़ियाँ
चित्र गैलरी
संदर्भ
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