Gaj Singh
Rana Gaj Singh (राणा गज सिंह) (r.1654 - 1690) , Rana of Gohad, eldest son of Rana Shri Bhagraj Singh, Rana of Gohad, educ. privately. Succeeded on the death of his father, 1654. He died in 1690, having had issue, five sons.
Sons of Rana Gaj Singh
Sons of Rana Gaj Singh were five:
- 1) Rana Jaswant Singh, Rana of Gohad (1690 - 1702).
- 2) Kunwar Mandhata Singh, of Jandara. He had issue, two sons Zamindars of Ikona and Kaithoda
- 3) Kunwar Shri Dalil Singh, of Pachgaon. He had issue, four sons (the Pachgaon-ghar).
- a) Kunwar Moti Ram.
- b) Kunwar Anrudh Singh, of Adhupura. He had issue, two sons: i) Kunwar Bahkt Singh. ii) Samant Tara Chand, of Adhupura. He had issue, one son:Kunwar Kirat Singh, who succeeded as Maharaj Rana of Gohad and first Maharaj Rana of Dholpur.
- c) Kunwar Balju [Samant Rao Balju], of Nimrol (Nirpura). He had issue, three sons: i) Kunwar Gordhan Singh. ii) Kunwar Murjad Singh. He had issue, one son: (1) Samant Rao Fath Singh. iii) Kunwar Chhatrapat Singh, who succeeded Maharaj Rana of Gohad. iv) Kunwar Pratap Singh, who succeeded as Rana Girdhar Pratap Singh, Rana of Gohad.
- d) Kunwar Raghunath Singh. He had issue, two sons:
- 4) Kunwar Chhatra Singh. He had issue, two sons, who were Zamindar of Makhoi.
- 5) Kunwar Amrit Singh, of Rajpura. He had issue, two sons
successor
His successor was Rana Jaswant Singh (1690 - 1702)
राणा गज सिंह (1654 - 1690)
राणा गज सिंह सन् 1654 में गोहद के राज सिंहासन पर आसीन हुए. वह कुशल सेनापति और बहादुर शासक थे. उन्होंने राज्य विस्तार की एक सुव्यवस्थित योजना तैयार की. उनके शासन काल में जाटों ने गोहद के आस-पास के गाँवों में मिटटी की कच्ची गाड़ियों का निर्माण किया, जिससे राज्य का विस्तार हुआ.
इनके शासन काल के अंतिम वर्षों में मुग़ल सत्ता पतन की ओर अग्रसर थी. औरंगजेब 1681 में सेना लेकर दक्षिण कूच कर गया और मृत्यु पर्यन्त वहीँ उलझा रहा, जिससे उत्तर भारत में उसका नियंत्रण कमजोर पद पड़ गया, और छोटे शासक अपनी शक्ति का विस्तार करने लगे. राजा गज सिंह ने भी इस अवसर का लाभ उठाया. उस ने चम्बल और सिन्ध नदियों के बीच अपने राज्यक का पर्याप्त विस्तार किया. इनकी सन 1690 में मृत्यु हो गयी. उन्होंने गोहद दुर्ग में मुख्य महल बनवाया, कई बाग़ लगवाये और कुए खुदवाये. गोहद दुर्ग के आस-पास अभेद्य चहार दीवारी का निर्माण कराया. [1] [2] (Ojha,p.54)
आठ घर: राणा गज सिंह के दो रानियां थी. बड़ी रानी के तीन राजकुमार और छोटी रानी के पांच राजकुमार थे. इस प्रकार राणा गज सिंह के आठ पुत्र थे. बड़ी रानी के पुत्र राणा जसवंत सिंह गोहद की राजगद्दी के उत्तराधिकारी हुए तथा अन्य सात पुत्रों को सात गाँव इकौना, नीरपुरा, मकोई, दंदरौआ, सड़, भगवासा तथा कैथोंदा की जागीरें प्रदान की. इस प्रकार इन सब भाइयों के आठ घर कहलाये।[3] [4] (Ojha,p.55)
सुजस प्रबंध में राजा गज सिंह
सुजस प्रबंध (Sujas Prabandh) के रचनाकार कवि नथन उदय सिंह के बाद राजा गज सिंह का वर्णन करते हैं. उनके बाद राजा गज सिंह गोहद राज्य में उभर कर आए. इन्होने युद्ध में पठानों को हराया. कई सैयद पठान तथा अमीरों के सामने वह युद्ध में गंभीरता के साथ जमे रहे और उनसे कई हाथी भी छीन लिए. इन्होने बड़ा भयंकर युद्ध किया था.
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