Gaurir
Gaurir /Gorir (गौरीर) is a large village in Khetri tahsil in Jhunjhunu district in Rajasthan.
Founders
Gaurir was capital of Mann Jats.
Location
Jat gotras
History
History of this village is important as it reveals the history of Maan Jat Gotra.[2]
Bhim Singh Dahiya identifies this clan with the Rigvedic Tribe - Mana: (RV 1/169/8, 171/5. 1/86/5, 117/11, Vlll/18/20). The last hymn mentions a king, named Manya Mana. They are to be identified with the Mana, Mannai of West Asian history. They were on the river Purusni (Ravi) at the time of Rigveda. That it is a warrior clan, is proved by the fact that it is not found in the Brahmanic Gotra list of Purshottam.
तवं मानेभ्य इन्द्र विश्वजन्या रदा मरुद्भिः शुरुधो गोग्राः | सतवानेभि सतवसे देव देवैर्विद्यामेषं वर्जनं जीरदानुम || (RV 1/169/8)
Mann and Kahlon are mentioned in the Markandeya Purana together as Mana, Kalaha, Kohalakas (Kohlis) and Mandavyas (Mandas) [3] The original name is Kahl, the German Kohl. [4]
Mana (मान) and Hala (हाल) - Varahamihira mentions Mana and Hala together in his Brihat Samhita the name of a people [5] But these are two different clan names the Mana and the Hala / Hala . The Mana are separately mentioned as a people in Markandeya Purana and so are the Hala and their country in the North. [6] Mana was also supposed to be the name of Agastya’s father; and consequently his family is called Mana. [7] But it is doubtful, to say the least. Rig Veda mentions a Mana and also sons of Mana. (252-See SED, p. 793) [8] The Rig Veda/Mandala 1/Hymn 169 [9]shloka 8 mentions Mana as under:
- "Give to the Manas, Indra with Maruts, gifts universal, gifts of cattle foremost.
- Thou, God, art praised with Gods who must be lauded. May we find strengthening food in full abundance."
The Vayu Purana mentions them as Maunika or Maun (Man). Visnu Purana mentions them as Maunas , a tribe of Gandharvas, who annihilated the Nagas (Wilson’s Edn.) They are the same as the English/German, Maan. Their coins have been found in Goa/Konkan areas. Perhaps, They are the Mannai in the west of Caspian sea, who in the eighth century B.C. had their Kingdom , called Mannai, now Armenia (Ari-Man) . They were under the over lordship of Tiglath Pileser IV and it was on their seat that Deioces Manda founded his empire. [10]
About 1500 years ago a group of these people came from Ghazni and settled at place called 'Balavansa' near Delhi. Maan clan descended from Maas Singh. His son Bijal Singh came to 'Dhosi' village and settled here. The village Dhosi is surrounded by hills and situated near Narnaul in Haryana. Large number of people come to this place from far off places every year. Many temples and kunds have been constructed here. A fair is also organized at this place.
Prior to the Maan people came, Gandas gotra Jats were the rulers here. Bijal Singh was married to Gaurandevi, daughter of Nagal. He founded a village called 'Gorir' in the name of Gaurandevi at a distance of 3 km from Dhosi.
Roopram Singh was the chieftain of this clan after 20 generations of Bijal Singh. At the time of Roopram Singh Shekhawats had occupied this province. Roopram Singh struggled for about 10 to 12 years in mid nineteenth century against Shekhawats of Khetri, but Maan people did not accept the rule of Shekhawats.
इतिहास
ठाकुर देशराज[11] ने लिखा है .... पटियाला राज्य की सरहद पर शेखावाटी का प्रसिद्ध गांव है गोरीर। यहीं मान गोत्र के जाटों ने अब से 800 से 900 वर्ष पहले अपनी-2 अधिष्ठात्री देवी गोरी के नाम पर जो गांव बसाया वही आज तक गोरीर के नाम से मशहूर है। मान जाटों की जब स्वतंत्रता नष्ट हो गई और शेखावतों का आगमन हुआ तब भी गौरीर के मान जाटों ने अपने स्वाभिमान को कायम रखा। चौधरी जीतराम जी इनही मान जाटों के विक्रमी बीसवीं शताब्दी के प्रतिनिधि थे। उनके सात पुत्र हुए- 1 तारा सिंह, 2 नेतराम सिंह, 3 बुधराम, 4 मनीराम, 5 नारायण सिंह 6 इंदराज और 7 हीरालाल
ठाकुर देशराज: संक्षिप्त इतिहास
ठाकुर देशराज लिखते हैं - यह भाटी जाटों की एक शाखा है, ऐसा भाट-ग्रन्थ मानते हैं। इनकी वंशावली जो जाटों की लिखी हुई है, उसमें भाटियों को सूर्यवंशी लिखा है। साथ ही यह भी लिखा है कि भक्त पूरनमल के पिता शंखपति का विवाह इन्हीं लोगों में हुआ था। लगभग पन्द्रह सौ वर्ष पहले इनका एक समूह देहली के पास बलवांसा नामक स्थान में गजनी से आकर आबाद हुआ था। मानसिंह जिसके नाम पर इस वंश की प्रसिद्धि बताई जाती है, उसका पुत्र बीजलसिंह ढोसी ग्राम में आकर अवस्थित हुआ। ढोसी नारनौल के पास पहाड़ों में घिरा हुआ नगर था। इस स्थान पर अब भी दूर-दूर के यात्री आते हैं, मेला लगता है। कई मन्दिर और कुंड यहां पर उस समय के बने हुए हैं। पहले यहां गंडास गोत्र के जाटों का अधिकार था। इसने नागल की पुत्री गौरादेवी से सम्बन्ध किया और फिर ढोसी से 3 मील हटकर
जाट इतिहास:ठाकुर देशराज,पृष्ठान्त-605
गौरादेवी के नाम पर गोरीर नाम का गांव बसाया। आगे उनसे जितना भी हो सका, अपना राज्य बढ़ाया। वीजलसिंह से 20 पीढ़ी पीछे सरदार रूपरामसिंहजी हुए। उस समय इस प्रदेश पर शेखावत आ चुके थे। खेतड़ी के शेखावतों से रूपरामसिंहजी का 10, 12 वर्ष तक संघर्ष रहा, किन्तु इन्होंने अधीनता स्वीकार न की। मान लागों के अनेक दल थे और वे अनेक प्रदेशों में बसे हुए हैं। खेतड़ी के शेखावतों से रूपरामसिंह का युद्ध अब से लगभग 80-90 वर्ष पहले हुआ था, क्योंकि कुं. नेतरामसिंहजी गोरीर वालों से रूपरामसिंहजी चार पीढ़ी पहले हुए थे। उस समय सुखरामसिंहजी के पास कितना इलाका था, भाट लोगों की पोथियों से इतना पता नहीं लगता है।
लगान
ठाकुर देशराज [12] ने लिखा है....सन् 1925 से 1935 तक लगान एकदम दुगना और कहीं-कहीं तो ढाई गुना हो गया। यदि 50 वर्ष पहले के लगान की ओर दृष्टि डालें तो कहना पड़ेगा कि लगान में उस समय से अब तक 10 गुनी बढ़ोतरी कर ली गई है। साथ ही बीघा का माप भी घटा दिया गया।
[पृ.329]: पटियाले की नारनोल निजामत के निजामपुर गांव में जहां लगान आठ आना फी बीघा था उसी से सटे हुए शेखावाटी के गोरीर गांव में ₹2 फी बीघा का लगान था और वीघा भी पटियाला का दो तिहाई था। बीघे के घटाने में इन ठिकानेदारों ने यहां तक बेईमानी की कि कोई-कोई तो पचास हाथ की जरीब से ही नापा हुई और जमीन को वीघा कहने लगा। इतने बड़े हुए लगान के सिवा ठिकानेदार लागें भी लेते थे।
Population
As per Census-2011 statistics, Gorir village has the total population of 4903 (of which 2606 are males while 2297 are females).[13]
Notable persons
- Kamala Beniwal - former Governor of Gujarat.
- Kunwar Netram Singh Gaurir (Maan) - Father of Kamala Beniwal, who took part in Shekhawati farmers movement
- दया किशन गौरीर - 15 जून 1946 को झुंझुनू में किसान कार्यकर्ताओं की एक बैठक चौधरी घासी राम ने बुलाई. शेखावाटी के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने इसमें भाग लिया. अध्यक्षता विद्याधर कुलहरी ने की. इसमें यह उभर कर आया कि भविष्य में समाजवादी विचारधारा को अपनाया जाये. जिन व्यक्तियों ने किसान सभा का अनुमादन किया उनमें आप भी सम्मिलित थे. (राजेन्द्र कसवा, p. 201-03).
- Sonu Kumari Maan - IAS 2022
External Links
References
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III (Page 302)
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, पृष्ठ 1062, s.n. 99
- ↑ ibid LVIII 46
- ↑ Bhim Singh Dahiya, Jats the Ancient Rulers ( A clan study), 1980, Sterling Publishers New Delhi , p. 286
- ↑ Sanskrit English Dictionary ( M. Williams), p. 806
- ↑ ibid , p. 809 and p. 1293
- ↑ 251-ibid
- ↑ Bhim Singh Dahiya, Jats the Ancient Rulers ( A clan study), 1980, Sterling Publishers New Delhi , p. 286
- ↑ http://en.wikisource.org/wiki/The_Rig_Veda/Mandala_1/Hymn_169
- ↑ Bhim Singh Dahiya, Jats the Ancient Rulers ( A clan study), 1980, Sterling Publishers New Delhi, p. 264
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.386
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.328-329
- ↑ http://www.census2011.co.in/data/village/71508-gorir-rajasthan.html
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