Kalpeshvara
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Kalpeshvara (कल्पेश्वर) temples in Chamoli district of Garhwal Division are known for the worship of Shiva's Locks (Jata). Lord Shiva is also called as Jatadhar or Jateshwar.
Location
Kalpeshwar is a Hindu temple dedicated to Lord Shiva located at an elevation of 2,200 m in the picturesque Urgam valley in the Garhwal region of Uttarakhand state in India. On the bridle path from Helang to Kalpeshwar, the confluence of the Alaknanda and Kalpganga rivers is seen. Kalpganga river flows through the Urgam valley.[1] The Urgam valley is a dense forest area.
Origin
Variants
- Kalpeshvara (कल्पेश्वर) (जिला गढ़वाल, उ.प्र.) (p.150)
- Kalpeshwar
History
The temple's ancient legend linked to the Pandavas, heroes of epic Mahabharata eminence is the fifth temple of the Panch Kedars (five temples) of Shiva's five anatomical divine forms; the other four temples in the order of their worship are Kedarnath, Rudranath, Tungnath and Madhyamaheshwar temples; all in the Kedar Khand region of the Garhwal Himalayas.[2] Kalpeshwar is the only Panch Kedar temple accessible throughout the year. At this small stone temple, approached through a cave passage, the matted tress (jata) of Lord Shiva is worshipped. Hence, Lord Shiva is also called as Jatadhar or Jateshwar. Earlier it was approachable only by 12 km trek from the nearest road head of Helang on the Rishikesh-Badrinath road but now the road goes up to Devgram village from where the trek now is just 300 metres.
कल्पेश्वर
विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...कल्पेश्वर (AS, p.150) प्राचीन गढ़वाल नरेशों के बनवाये हुये मंदिरों के लिए उल्लेखनीय है.
कल्पेश्वर मन्दिर
कल्पेश्वर मन्दिर उत्तराखण्ड के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मन्दिर उर्गम घाटी में समुद्र तल से लगभग 2134 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस मन्दिर में 'जटा' या हिन्दू धर्म में मान्य त्रिदेवों में से एक भगवान शिव के उलझे हुए बालों की पूजा की जाती है। कल्पेश्वर मन्दिर 'पंचकेदार' तीर्थ यात्रा में पाँचवें स्थान पर आता है। वर्ष के किसी भी समय यहाँ का दौरा किया जा सकता है। इस छोटे-से पत्थर के मन्दिर में एक गुफ़ा के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।
स्थिति: कल्पेश्वर मन्दिर काफ़ी ऊँचाई पर स्थित है। भगवान शिव को समर्पित यह स्थान पवित्र धाम माना जाता है। कल्पेश्वर उत्तराखण्ड के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों मे से एक है। यह उत्तराखण्ड के असीम प्राकृतिक सौंदर्य को अपने मे समाए हिमालय की पर्वत शृंखलाओं के मध्य में स्थित है। कल्पेश्वर सनातन हिन्दू संस्कृति के शाश्वत संदेश के प्रतीक रूप मे स्थित है। एक कथा के अनुसार, एक लोकप्रिय ऋषि अरघ्या मन्दिर में कल्प वृक्ष के नीचे ध्यान करते थे। यह भी माना जाता है की उन्होंने अप्सरा उर्वशी को इस स्थान पर बनाया था। कल्पेश्वर मन्दिर के पुरोहित दक्षिण भारत के नंबूदिरी ब्राह्मण हैं। इनके बारे में कहा जाता है की ये आदिगुरु शंकराचार्य के शिष्य हैं।
कुंड तथा पवित्र जल: मुख्य मन्दिर 'अनादिनाथ कल्पेश्वर महादेव' के नाम से प्रसिद्ध है। इस मन्दिर के समीप एक 'कलेवरकुंड' है। इस कुंड का पानी सदैव स्वच्छ रहता है और यात्री लोग यहाँ से जल ग्रहण करते हैं। इस पवित्र जल को पी कर अनेक व्याधियों से मुक्ति पाते हैं। यहाँ साधु लोग भगवान शिव को अर्घ्य देने के लिए इस पवित्र जल का उपयोग करते हैं तथा पूर्व प्रण के अनुसार तपस्या भी करते हैं। तीर्थ यात्री पहाड़ पर स्थित इस मन्दिर में पूजा-अर्चना करते हैं। कल्पेश्वर का रास्ता एक गुफ़ा से होकर जाता है। मन्दिर तक पहुँचने के लिए गुफ़ा के अंदर लगभग एक किलोमीटर तक का रास्ता तय करना पड़ता है, जहाँ पहुँचकर तीर्थयात्री भगवान शिव की जटाओं की पूजा करते हैं।
संदर्भ: भारतकोश-कल्पेश्वर मन्दिर
External links
References
- ↑ "Kalpeshwar".
- ↑ J. C. Aggarwal; Shanti Swarup Gupta (1995). Uttarakhand: past, present, and future. Chamoli district. Concept Publishing Company. p. 222. ISBN 978-81-7022-572-0. ISBN 81-7022-572-8.
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.150