Magha Ram Karwasra
Magha Ram Karwasra became martyr on 10.12.1971 during Indo-Pak war-1971 in Chhamb sector of Jammu and Kashmir. He was from village Janduo Ki Dhani in Baytoo tahsil of Barmer district in Rajasthan. Unit - 15 Grenadiers Regiment
ग्रेनेडियर मगाराम कड़वासरा
ग्रेनेडियर मगाराम कड़वासरा
2661640
मेंशन इन डिस्पैच
यूनिट - 15 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट
भारत-पाक युद्ध 1971
ग्रेनेडियर मगाराम का जन्म श्री मोतीराम कड़वासरा एवं श्रीमती प्रेमा देवी के परिवार में हुआ था। वह राजस्थान के बाड़मेर जिले के बायतू गांव के निवासी थे। अप्रैल 1971 में वह वह भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 15 ग्रेनेडियर्स बटालियन में ग्रेनेडियर्स के पद पर नियुक्त किया गया था।
भारत-पाक युद्ध के समय 10 दिसंबर 1971 को पंजाब के अमृतसर जिले के हरार खुर्द गाँव पर आक्रमण के समय हमारी सहायता को आई 1 हार्स के टैंकों की गतिविधि शत्रु के प्रभावी फायर के कारण अवरुद्ध हो गई। युद्ध के इस विकट एवं निर्णायक अवसर पर शत्रु के फायर को नष्ट करने का महत्वपूर्ण कार्य डेल्टा कम्पनी के 12 नंबर प्लाटून को सौंपा गया।
समस्त कठिनाइयों के उपरांत प्लाटून अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रही। शत्रु की मीडियम मशीन गन पोस्ट को शांत करने के साथ ही दूर कहीं से एक गोले का टुकड़ा (SPLINTER) ग्रेनेडियर मगाराम की गर्दन पर लगा। और उसके घातक आघात से वह अपनी मातृभूमि की आन की रक्षा करते हुए बलिदान हो गए।
ग्रेनेडियर मगाराम को उनकी वीरता, निस्वार्थ सेवा, देश भक्ति और बलिदान के लिए मरणोपरांत डिस्पैच में मेंशन (M-in-D) किया गया।
स्रोत: रमेश शर्मा
मघाराम कड़वासरा का परिचय
मघाराम कड़वासरा (1948-1971) (Magha Ram Karwasra) का जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिले की बायतू तहसील के जान्दुओं की ढाणी गाँव में 1948 में मोतीराम कड़वासरा और पेमी देवी के घर हुआ. गाँव में शिक्षा की अनुकूल व्यवस्था न होते हुए भी आपने लीलाला व् बायतू से उच्च प्राथमिक तक शिक्षा प्राप्त की.
मघाराम कड़वासरा का चयन भारतीय थल सेना में मार्च 1971 में ग्रेनेडियर्स में बतौर सिपाही नं. 2661640 हुआ. इनकी शादी की तैयारियां आरंभ की ही थी कि सेना से बुलावा आ गया और भारत-पाक जंग शुरू हो गया. आप उस समय कश्मीर मोर्चे पर थे.
3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया. उस समय मघाराम कड़वासरा कश्मीर सीमा पर पदस्थ थे. यहाँ पर वीरता की मिसाल कायम करते हुए दुश्मन के सैनिक लवाजमे को पछाड़ते हुए 10 दिसंबर 1971 को शहीद हुए.
गैलरी
सन्दर्भ
- जोगाराम सारण: बाड़मेर के जाट गौरव, खेमा बाबा प्रकाशन, गरल (बाड़मेर), 2009 , पृ. 100-101
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