Mori Bhiwani
Mori or Mauri (मौड़ी) is a village in Charkhi Dadri tehsil and district of Haryana.
Note - Before 2017, this village was part of Bhiwani district (Charkhi Dadri district was created on 1 November 2016).
Jat Gotras
Population
The Mori village has population of 3253 of which 1712 are males while 1541 are females (as per Population Census 2011).[2]
History
स्वामी ओमानन्द लिखते हैं -
.....तीन दिन तक भीषण युद्ध हुआ । तीसरे दिन तो इतना भीषण संग्राम हुआ कि हिन्दू कुल गौरव महाराणा प्रताप के घोड़े की भांति राव तुलाराम का घोड़ा भी शत्रु सेना को चीरते हुए अंग्रेज अफसर (जो काना साहब के नाम से विख्यात थे) के हाथी के समीप पहुंचा । पहुंचते ही सिंहनाद कर वीरवर तुलाराम ने हाथी का मस्तक अपनी तलवार के भरपूर वार से पृथक् कर दिया । दूसरे प्रहार से काना साहब को यमपुर पहुंचाया ।
काना साहब के धराशायी होते ही शत्रु सेना में भगदड़ मच गई । शत्रु सेना तीन मील तक भागी । मि० फोर्ड भी मैदान छोड़ भागे और दादरी के समीप मोड़ी नामक ग्राम में एक जाट चौधरी के यहां शरण ली । बाद में मि० फोर्ड ने अपने शरण देने वाले चौधरी को जहाजगढ़ (रोहतक) के समीप बराणी ग्राम में एक लम्बी चौड़ी जागीर दी और उस गांव का नाम फोर्डपुरा रखा, वहां पर आजकल उस चौधरी के वंशज निवास करते हैं ।[3]
Notable persons
- Rajvir Singh Sheoran (Havildar) - From Mori, Dadri, Bhiwani, Haryana, Martyrs of Kargil war on 17 May 1999, Unit-04 Jat Regiment.
External Links
References
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter XI (Page 998)
- ↑ http://www.census2011.co.in/data/village/61499-mori-haryana.html
- ↑ देशभक्तों के बलिदान (हरयाणा प्रान्त के महान् योद्धा राव राजा तुलाराम)
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