Nafe Singh
Nafe Singh (Naib) (16.11.1943 - 13.03.1986), Sena Medal (posthumous), became martyr on 13.03.1986 at Siachin Glacier during Operation Meghdoot. He was from village Goela Kalan Badli in Jhajjar district of Haryana.
Unit: 11 Jat Regiment
नायब सूबेदार नफे सिंह
नायब सूबेदार नफे सिंह JC135645
16-11-1943 - 13-03-1986
सेना मेडल (मरणोपरांत)
वीरांगना - श्रीमती धनपति देवी
यूनिट - 11 जाट रेजिमेंट
ऑपरेशन मेघदूत
नायब सूबेदार नफे सिंह का जन्म ब्रिटिश भारत में, 16 नवंबर 1943 को संयुक्त पंजाब में हुआ था। वह वर्तमान हरियाणा के झज्जर जिले की बादली तहसील के गोयला कलां गांव के निवासी थे। 16 नवंबर 1962 को वह भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 11 जाट बटालियन में सिपाही के पद पर नियुक्त किया गया था। दो दशकों से अधिक समय के अपने सेवाकाल में उन्होंने अनेक सैन्य अभियानों में भाग लिया था।
नायब सूबेदार नफे सिंह ने रक्षा मेडल, Clasp (A&B) के साथ सैन्य सेवा मेडल, संग्राम मेडल, पश्चिम स्टार मेडल, स्वतंत्रता की 25 वीं वर्षगांठ मेडल, 20 वर्ष दीर्घ सेवा मेडल और अन्य विभिन्न मेडल प्राप्त किए थे। वर्ष 1986 तक वह अपनी बटालियन में 23 वर्ष से अधिक वर्षों की सेवाएं दे चुके थे और नायब सूबेदार के पद पर पदोन्नत हो गए थे।
वर्ष 1947-48 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के पश्चात वर्ष 1949 में युद्धविराम रेखा (Ceasefire Line) को मान्य किया गया था। 1971 के युद्ध के पश्चात दिसंबर 1972 के शिमला सम्मेलन में सुचेतगढ़ समझौते में नियंत्रण रेखा (LoC) के रूप में पुनः मान्य किया गया था। दोनों पक्षों ने नियंत्रण रेखा को आत्मसात किया था, किंतु NJ-9842 से आगे की रेखा में कोई परिवर्तन नहीं हुआ था।
दोनों पक्षों द्वारा उस निर्जन क्षेत्र को किसी भी प्रकार के सैन्य अभियान के वृत से पृथक रखा जाता था। किंतु समझौते के विपरीत वर्ष 1964 से 1972 के मध्य, पाकिस्तान ने अपने नक्शे में युद्धविराम रेखा को NJ-9842 से काराकोरम दर्रे के उत्तर की ओर नहीं दर्शा कर ठीक पश्चिम में एक बिंदु तक अपने नक्शे में दर्शाना आरंभ किया और इसके कारण सियाचिन का विवाद गंभीर रूप लेने लगा था।
पाकिस्तान के सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में उकसावे की कार्रवाई और हस्तक्षेप के कारण 13 अप्रैल 1984 को मेजर संजय कुलकर्णी के नेतृत्व में भारतीय सेना ने "ऑपरेशन मेघदूत" आरंभ किया और सियाचिन ग्लेशियर की महत्वपूर्ण चौकियों पर अधिकार कर लिया। उसके पश्चात इस ऑपरेशन में वृहद संख्या में भारतीय सैनिकों को तैनात किया गया। वर्ष 1985 के अंत में 11 जाट बटालियन को भी "ऑपरेशन मेघदूत" में तैनात किया गया था।
सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में, तैनात भारतीय सैनिकों को पाकिस्तानी सेना द्वारा अकारण की गई गोला वृष्टि के साथ-साथ अति प्रतिकूल जलवायु की स्थिति भी सहन करनी पड़ती थी। उप-शून्य तापमान और अप्रत्याशित हिमपात/हिमस्खलन के साथ सियाचिन क्षेत्र में गश्त करना अति चुनौतीपूर्ण और अति संकटमय कार्य था।
13 मार्च 1986 को 11 जाट बटालियन के नायब सूबेदार नफे सिंह के नेतृत्व में एक टुकड़ी ने गश्त आरंभ की। गश्त के समय शत्रु ने अकारण गोला वृष्टि आरंभ कर दी। गोलों के भयानक विस्फोट के परिणामस्वरूप हिमस्खलन (AVALANCHE) हुआ और नायब सूबेदार नफे सिंह और उनके साथी हिम की विशाल परतों में दब गए।
सेना द्वारा उनके रक्षण के लिए त्वरित वृहद स्तर पर रक्षण अभियान चलाया गया किंतु नायब सूबेदार नफे सिंह, नायक पेमा राम सेल, नायक रिसाल सिंह, सिपाही दिलबाग सिंह, सिपाही बलगा नंद अहलावत, सिपाही राम प्रताप, सिपाही राम सिंह श्योराण, और सिपाही मान सिंह भास्कर वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
नायब सूबेदार नफे सिंह को उनके साहस, कर्तव्य के प्रति समर्पण एवं सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत "सेना मेडल" दिया गया।
नायब सूबेदार नफे सिंह के तीन पुत्र थे और एक पुत्री थी। अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए उनके दो पुत्र मुकेश कुमार व रमेश कुमार भी 11 जाट बटालियन में ही भर्ती हुए थे। उनके द्वितीय पुत्र सूबेदार रमेश कुमार 9 अक्टूबर 2010 को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के तंगधार सेक्टर में आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में वीरगति को प्राप्त हुए थे।
इस हिमस्खलन में बलिदान हुए सैनिकों का विवरण...
नायब सूबेदार नफे सिंह, JC135645, सेना मेडल (मरणोपरांत), वीरांगना - श्रीमती थनपति देवी, गोयला कलां गांव, बादली, झज्जर, हरियाणा
नायक पेमा राम सेल, 3164124, वीरांगना - रूकमा देवी, रियां (सेठां की) गांव, पीपाड़, जोधपुर, राजस्थान
नायक रिसाल सिंह, 3164435, वीरांगना - श्रीमती कृष्णा देवी, बरहाणा गांव, झज्जर, हरियाणा
सिपाही दिलबाग सिंह, 3171736, वीरांगना - श्रीमती कृष्णा देवी, बोडिया गांव, झज्जर, हरियाणा
सिपाही बलगा नंद अहलावत, 3173498, वीरांगना - श्रीमती सरस्वती देवी, डीघल गांव, बेरी, झज्जर, हरियाणा
सिपाही राम प्रताप, 3169419, वीरांगना - श्रीमती रोशनी देवी, मातनहेल गांव, झज्जर, हरियाणा
सिपाही राम सिंह श्योराण, 3175500, वीरांगना - श्रीमती ओमपति देवी, दमुआका, गांव, खैर, अलीगढ़ उत्तरप्रदेश
सिपाही मान सिंह भास्कर,
3170850,
वीरांगना - श्रीमती रामप्यारी देवी,
बिशनपुरा गांव, झुंझुनूं,
राजस्थान
शहीद को सम्मान
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