Narendra Singh Meharia
Narendra Singh Meharia (Platoon Commander) became martyr of militancy on 12 May 2016 at Jungle Warfare College Kanker in Chhattisgarh while defusing a bomb used by naxalites. He was known as a Steel Man. He was from village Bader in Ladnu tahsil of Nagaur district in Rajasthan.
प्लाटून कमांडर नरेंद्र सिंह मेहरिया
प्लाटून कमांडर नरेंद्र सिंह मेहरिया
प्रशिक्षक बम निरोधक दस्ता
नरेंद्र सिंह मेहरिया राजस्थान के नागौर जिले की लाडनूं तहसील के बादेड़ गांव के निवासी थे। वह स्टील मैन के नाम से प्रसिद्ध थे। उन्होंने 256 बम अकेले डिफ्यूज किए थे और वह 50 किलोमीटर तक भूखे-प्यासे चलने की क्षमता रखते थे। वह छत्तीसगढ़ के कांकेर में, जंगल वारफेयर काॅलेज में तैनात थे। मेहरिया इतने दृढ़ इच्छाशक्ति वाले थे कि वह कभी रूग्ण नहीं होते थे।
अपने साहस, तत्परता और बम निष्क्रिय करने के कौशल के कारण वह सदैव नक्सलियों के निशाने पर रहते थे। उन्होंने नक्सलियों के विस्फोटों के अनेक प्रयासों को असफल किया था। वह सदैव कहते थे कि उनकी मृत्यु कभी बम विस्फोट से ही होगी और छत्तीसगढ़ में ही होगी। वैसा ही हुआ भी। वह सदैव कहते थे कि तनिक सी चूक हुई, तो पुनः अवसर नहीं मिलेगा। मुझे तो लगता है कि किसी दिन कोई चूक मेरा जीवन भी न ले ले। इतना कहने के पश्चात वह हंस पड़ते थे।
12 मई 2016 को नरेंद्र सिंह कांकेर के जंगल वारफेयर काॅलेज में बम निष्क्रिय करने का प्रशिक्षण दे रहे थे। प्रशिक्षण की प्रक्रिया में उन्होंने एक हथगोला फेंका। जब फेंकने के सात सेकेंड पश्चात भी वह हथगोला नहीं फटा, तो वे धीरे-धीरे उसे जांचने आगे बढ़ रहे थे। वे हथगोले से लगभग 30 मीटर दूरी पर ही थे, उसी समय उस हथगोले में आकस्मिक विस्फोट हो गया और बम का एक टुकड़ा उनकी दांई आंख से होते हुए मस्तिष्क में धंस गया और वह वीरगति को प्राप्त हो गए।
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