Prakkosala
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Prakkosala (प्राक्कोसल) or eastern Kosala was a country mentioned in Mahabharata which was defeated by Sahadeva.
Origin
Variants
- Eastern Kosala
- Prakkosala प्राक्कोसल (AS, p.590)
- Prakkoshala प्राक्कोशल [ prākkośala ] [ prāk-kośala ] ( or [ -kosala ] ) m. f. n. belonging to the eastern Kośalas.[1]
History
Prak-Kosala was the areas won by Sahdeva, which corresponds with Chhattisgarh region. The Forest area of Chhattisgarh was also known as 'Kantara'. Kosala Janapada is also mentioned in Karna's victory over Kauravas in Mahabharata.
In Mahabharata
प्राक्कोसल
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ....प्राक्कोसल (AS, p.590): महाभारत में सहदेव की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में प्राक्कोसल पर उनकी विजय का उल्लेख है, ' 'कांतारकांश्चसमरे तथा प्राक्कोसलान् नृपान् नाटकेयांश्च समरे तथा हैरम्बकान् युधि'. सभापर्वा 31,13. प्राक्कोसल या पूर्व कोसल का अधिक प्रचलित नाम दक्षिण कौसल (वर्तमान महाकोसल) है. इसमें छत्तीसगढ़ के रायपुर और बिलासपुर जिले तथा परिवर्ती प्रदेश सम्मिलित थे. कांतारक या विंध्या का वन्य प्रदेश इसके पड़ोस में स्थित था.
महाभारत मे भी इस क्षेत्र का उल्लेख सहदेव द्वारा जीते गए राज्यों में प्राक्कोसल के रूप में मिलता है। बस्तर के अरण्य क्षेत्र को कान्तार के नाम से जाना जाता था। कर्ण द्वारा की गई दिग्विजय में भी कोसल जनपद का नाम मिलता है।[3]
कांतारक
विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...कांतारक (AS, p.158) महाभारत सभा पर्व 31,13 में सहदेव की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में इस प्रदेश का उल्लेख है-- 'कांतारकांश्चसमरे तथा प्राक्कोसलान् नृपान् नाटकेयांश्च समरे तथा हैरम्बकान् युधि'. कांतारक अवश्य ही गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में वर्णित महाकांतार है जहां के अधिपति व्याघ्रराज को समुद्रगुप्त ने परास्त किया था. महाकांतार मध्य प्रदेश/छत्तीसगढ़ के पूर्वोत्तर भाग में स्थित जंगली भूखंड का प्राचीन नाम था (कांतार = घना जंगल). इसमें भूतपूर्व जसो रियासत सम्मिलित थी.