Raja Kishan Singh Tomar

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राजा कौन्तेय किशनसिंह तोमर

Raja Kishan Singh Tomar was Tomar ruler who founded Kishanpur (Bagpat) in 1067 AD.

राजा कौन्तेय किशनसिंह तोमर

किशनपुर बिराल - राजा कौन्तेय किशनसिंह तोमर - दिल्ली पर पाण्डववंशी जाटों का राज्य रहा है। इसी वंश में राजा अनंगपाल के पिता महाराजा कंवरपाल तोमर के छोटे भाई और सलकपाल देव के मझले पुत्र राजा किशनपाल सिंह थे। उनको इस क्षेत्र जागीरी मिली थी। उन्होंने यहां चौधराहठ की स्थापना की। उस समय के नाथ सम्प्रदाय के गुरु संत फूला नाथ के निर्देश से पुरोहित देवकीनंदन के द्वारा यज्ञ किया गया। विक्रम सम्वत 1125 ईस्वी (1067 ईस्वी)। जिसके बाद किशनपुर की नीव रखी गयी। इस ग्राम में दिल्ली की जाट रानी सलकपाल देव की रानी (महाराजा अंनगपाल की दादी) की मृत्यु उपरांत समाधी किशनसिंह के द्वारा बनवाई गयी, जो बड़ी माता के रूप में पूजी जाती है, जिसको बड़ी माता के रूप में जाना जाता है। गढ़ मुक्तेश्वर के प्रसिद्ध नग के कुआँ का पुनः निर्माण राजा किशनपाल तोमर ने करवाया था। गढ़मुक्तेश्वर के पास के सात ग्रामों को जीत कर उनकी आय से यहां प्रबंध व्यवस्था की।[1]

ऐसा माना जाता है की इंद्रप्रस्थ के पाण्डववंशी तोमर राजाओं ने इस जगह ग्राम बसाने से पहले एक न्याय पीठ की स्थापना भी की थी। बाद में उन्ही के वंशजों ने इस ग्राम की स्थापना की जो आज भी टीले के रूप में मौजूद है। ऐसा कहते है की मुस्लिम हमले में यह न्याय पीठ नष्ट हो गयी थी। किशनपुर में चौधरी कृपाराम तोमर ने भी एक बारादरी का निर्माण करवाया था जिस में एक कुंडली नुमा संरचना हुआ में खड़ा होकर व्यक्ति झूठ नहीं बोलता था पर यदि कोई झूठ बोल दे और पकड़ा जाए तो उसको फांसी की सजा दी जाति थी। चौधरी कृपाराम के समय उनके किसी लड़के ने झूठ बोला और उसको कृपाराम ने फांसी की सजा दे दी थी। यहां सबके लिए सामान न्याय व्यवस्था थी।[2]

किशनपुर ग्राम में तोमर राजाओं द्वारा बनाया गया तालाब प्रसिद्ध रहा है। यह तालाब 14 बीघा भूमि में निर्मित है। जिसमें नहाने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं। यहां राजा सलकपाल देव और अंनगपाल देव द्वारा मंदिरों की एक श्रृंखला निर्माण करवाया गया जिस पर दाराशिकोह ने शरण ली। इस कारण औरंगज़ेब ने यहां हमला किया और इन मंदिरों को नष्ट कर दिया। जाट वीरो के विरोध के आगे औरंगज़ेब कुछ ही जगहों को नुकसान पंहुचा सका। यहां के महंत गोपालगिरि ने इस जगह के तालाब की खुदाई करवाई जिसमें निकली तोमर कालीन खंडित मूर्तियां गंगा में प्रवाहित करवा दी। साथ ही एक मूर्ति जो खंडित नहीं थी आज भी यह स्थापित है। चौधरी कर्मसिंह ने इन तालाबों की मरम्मत करवाई। यहां के प्रधान महकसिंह जी का विशेष योगदान रहा यहाँ के एतिहासिक धरोहर को सजोने में इतिहासकार डॉ महकसिंह जी द्वारा पुरात्तव विभाग उत्तरप्रदेश में जमा किये गए दस्तावेज रिपोर्ट से लिया गया है।

किशनपुर ग्राम की वंशावली

  1. अर्जुन
  2. अभिमन्यु
  3. परीक्षित (अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित था) →
  4. जनमेजय
  5. धर्मदत्त
  6. मनजीत (निशस्त्चक ) →
  7. चित्ररथ
  8. दीपपाल
  9. उग्रसेन
  10. सुसेन
  11. भुवनपतिदेव
  12. रणजीतदेव
  13. रक्षकदेव
  14. भीमसैन
  15. नरहरिदेव
  16. सुचिरथ
  17. सुरसेन
  18. पर्वतराज
  19. मधुकदेव
  20. सोनचीरदेव
  21. भीष्मदेव
  22. नरहरिदेव द्वतीय
  23. पुरनसाल
  24. सारंगदेव
  25. उदयपाल
  26. अभिमन्यु 2
  27. धनपाल
  28. भीमपाल
  29. लक्ष्मीदेव
  30. भानक राज
  31. मुरसैन
  32. आंनगशायी
  33. हरजीतदेव
  34. सुलोचनदेव
  35. इंद्रपाल
  36. पृथ्वीमल
  37. अमिपाल
  38. दशरथ
  39. वीरसाल
  40. अजीतसिंह
  41. सर्वदत्त
  42. शेरपाल (वीरमहा) (800 BC) →
  43. वीरसेन
  44. महिपाल
  45. शत्रुपाल
  46. सैंधराज
  47. तेजपाल
  48. मानिकपाल
  49. कामसेन
  50. शत्रुमर्दन
  51. जीवन जाट (481 BC-455 BC) →
  52. वीरभुजंग या हरिराम →
  53. वीरसेन (द्वितीय) →
  54. उदयभट या आदित्यकेतु
  55. थिमोधर
  56. महर्षिपाल
  57. समरिच्चपाल
  58. जीवनराज
  59. रुद्रसेन
  60. अरिलक
  61. राजपाल
  62. कृतिपाल
  63. जीतराम
  64. बिलहनदेव (अनगपालसिंह तोमर) (731-736 AD) →
  65. वासुदेव
  66. गंगदेव (गांगेय) →
  67. पृथ्वीपाल (प्रथमदेव) →
  68. जयदेव (सहदेव) →
  69. नरपाल
  70. उदयराजदेव
  71. आपृच्छदेव
  72. पीपलराजदेव (वछराज) →
  73. रघुपाल (रावलु) →
  74. तिल्हणपालदेव
  75. गोपालदेव
  76. सलअक्शपाल (सकपाल,सलक्षणदेव) (r.976-1002) →
  77. किशनपाल
  78. दामोदरसिंह
  79. रामसहाय
  80. कृपाराम
  81. मनसुखसिंह
  82. नैनसुख
  83. फतेहसिंह
  84. शोभाराम
  85. खेमकरण
  86. साहबसिंह
  87. गोपाल
  88. शेरसिंह
  89. कर्मसिंह
  90. मूलचंद[3]

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ

  1. पांडव गाथा
  2. पांडव गाथा
  3. पांडव गाथा

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