Uma Ram Bhamu
लेखक:लक्ष्मण बुरड़क, IFS (R) |
Uma Ram Bhamu (चौधरी उमाराम भामू), from Rodoo (रोडू), Ladnu, Nagaur, was a social worker in Nagaur, Rajasthan.[1]
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....चौधरी उमाराम जी - [पृ.195]: आप भाम्बू गोत्र के सरदार हैं। आप यहां ठिकाना रोडू परगना डीडवाना के रहने वाले हैं। इस समय करीब 50 साल की अवस्था में हैं। आपका खास व्यवसाय खेती है। आप विद्या प्रचार व कुरीति निवारण में बड़े ही अगुआ हैं। जागीरदारों के अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर सकने की वजह से आपने राजनीतिक संस्थाओं में भाग लिया। आज दिन तक आप पर कई मुकदमे लोगों के सिलसिले व खेतों के बारे में चल रहे हैं परंतु बीथोड़ी के सिवाय एक पाई भी अदा नहीं कर रहे हैं और न अपने साथियों को अदा करने देते हैं। आप बड़े ही साहसी और अग्रगामी हैं। किसानों के लिए एक आदर्श हैं। आप उसी बारे में कई दफा राजनीतिक सजाएँ भोग चुके हैं। अपने घर पर सभी जागीरदारों के गैर-इंसाफ व जुल्मों को मिटाने के लिए स्वाह कर दिए हैं। रात-दिन अपने भाइयों की मदद व समझाइस के लिए भूखे-प्यासे दौड़-धूप पैदल गांव-गांव में भ्रमण करते हैं। आपके दो पुत्र तालीम पा रहे हैं।
[पृ 196] आप जब राजनैतिक कैद भुगत कर पधारे तो धनी मानी सज्जनों ने आपका बहुत ही अच्छा स्वागत किया। लोक परिषद के नेताओं में आप मुख्य हैं।
सामाजिक सुधार के कार्य
सेवानिवृति के बाद सूबेदार पन्नाराम मण्डा ने जोधपुर, नागौर, डेगाना, डीडवाना आदि अंचलों में गाँव-गाँव व ढाणी-ढाणी जाकर किसानों को अन्यायकारी व्यवस्था का विरोध करने के लिए जाग्रत किया। इनके साथ निम्न क्रान्तिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे:[3]
- रोडू के उमाराम जी भामू,
- कसुम्बी के रतीराम जी राहड़,
- खानपुर के गणेशाराम माहिया,
- लाडनूं के स्वामी चैनदास जी,
- खाटू के किशनाराम जी रोझ आदि।
इन साथियों के साथ आपने किसानों में व्याप्त सामाजिक बुराइयों यथा मृत्यु-भोज, अंधविश्वास व अशिक्षा के विरुद्ध पूरे मारवाड़ में प्रचार किया। गाँवों में शिक्षा का प्रचार करना इनका मुख्य ध्येय था। जोधपुर, नागौर और डीडवाना में जाट बोर्डिंग की स्थापना की, बोर्डिंग के लिए चन्दा किया तथा लड़कों को जाट बोर्डिंग में भरती करने हेतु प्रोत्साहित किया। डीडवाना में निरंजनी साधुओं के अखाड़े गाढाधाम में जाट बोर्डिंग डीडवाना की स्थापना कर उसके वर्षों तक अध्यक्ष रहे तथा उसका कुशलता पूर्वक सञ्चालन आपने ही किया। इसमें पढ़कर अनेक विद्यार्थियों ने शिक्षा ग्रहण की। राजस्थान के नामी व्यक्तित्व परसराम मदेरणा ने आपकी प्रेरणा से ही शिक्षा ग्रहण करना आरम्भ किया था। नागौर के जाट बोर्डिंग का शुभारम्भ भी श्री मूलचंद जी सिहाग निवासी चेनार के सहयोग से आपने ही किया था।
गैलरी
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Jat Jan Sewak, p.195
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Jat Jan Sewak, p.196
बाहरी कड़ियाँ
संदर्भ
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.195-196
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.195-196
- ↑ 'जुल्म की कहानी किसान की जबानी' (2006), लेखक - भीमसिंह आर्य, प्रकाशक - मरुधर प्रकाशन, आर्य टाईप सेंटर- सुजानगढ़ (चूरू), पृ.212
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