Nain
Nain
(Nayan, Nen, Nain, Binain)
Location : Punjab, Haryana, Delhi, Rajasthan,, Uttar Pradesh, Madhya Pradesh
Nain (नैन)[1][2]/ Nayan (नयन)[3] Nen (नेण) Nain (नैण)[4] Binain (बिनैन) is gotra of Jats or Jatt found in Punjab, Haryana, Delhi, Rajasthan,[5] Uttar Pradesh, Madhya Pradesh in India and in Pakistan. They were supporters of Tomar Confederacy. [6] [7]
Origin
- They are said to be descendants of Nainsi (नैणसी). Nain, Nyol, Dadiya and Kothari have descended from Common ancestor and have brotherly relations.[8]
Nain Pal
Nain Pal has 52 villages in Jind, Narwana and Sangrur in Punjab. Ch.Shamsher Singh Surjewala, Ch.Tek Chand Nain and Ch.BhaleRam Nain are from this Khap. [9]
नैन पाल
40 नैन पाल - जींद, नरवाना और पंजाब के संगरूर जनपदों में इस खाप के करीब 52 गांव हैं. चौधरी शमशेर सिंह सुरजेवाला, Ch. Tek Chand Nain चौधरी टेक चंद् नैन और चौधरी भले राम इसी खाप की देन है. [10]
History
We find mention of this clan in Iran in ancient times. Lake Urmia (Persian: دریاچه ارومیه) is a salt lake in northwestern Iran between the provinces of East Azarbaijan and West Azarbaijan, west of the southern portion of the similarly shaped Caspian Sea. Lake Urmia has 102 islands. Nahan is one of the islands.It indicates the population of Nain people inhabiting this island.
Bhim Singh Dahiya has identified that Central Asian Name - Noyan is the same as the existing Indian Jat clan 'Nayan'/Nain.[11]
Garcha, Sirhe, Nain, Chandarh, Dhanda, Kandhole and Khosa Jatts are close kins who are thought to come from Turkistan (Scythian empire) in early history.
There is a lot of similarity in Hindi and Turkish worlds. There is a database of these words and you would wonder that hundreds of words are used as such in Hindi and Turkish. Does this indicate Turkish origin of Nain and other hindi speaking clans from Turkish or nearby people?
In Rajatarangini
Rajatarangini mentions A relative of the king named Nayana who lived at Selyapura, had a son named Japyaka. Book VII (p. 206) (Nayana→Nain)
Villages founded by Nain clan
- Bachharara (बछरारा) (Ratangarh,Churu) was founded by a Dula Nain in 1360 AD. [12]
- Bhirani (Bhadra, Hanumangarh) was founded by Shripal Nain in 1253 AD. [13]
- Dhani Chhilan (ढाणी छीलां) - village in Lunkaransar tehsil of Bikaner district in Rajasthan. Founded by Ramu Ram Nain father of Harish Chandra Nain in 1876 AD.
- Beejhansar (Dungargarh, Bikaner) was founded by a Lalla Nain in 1360 AD. [15]
- Jetiawas (जेतियावास) - village in tahsil Osian of Jodhpur district Rajasthan was founded by Jaitaji Nain .
- Keu (Dungargarh, Bikaner) was founded by a Hukma Nain in 1360 AD. [16]
Sub divisions of Tunwar
Bhim Singh Dahiya[19] provides us list of Jat clans who were supporters of the Tunwar when they gained political ascendancy. The Nain clan supported the ascendant clan Tunwar and became part of a political confederacy.[20]
नैन गोत्र का इतिहास
नैन अत्यंत प्राचीन गोत्र है. कई शताब्दी ईशा पूर्व जाटों के छः वंश शिवी, सुरावी, किम्ब्री, हेमेंद्री, कलि व बैन हरिवर्ष (यूरोप) गए थे उनमें नैन भी थे. हेमेंद्री गोत्र की ही एक शाखा नैन थे. नैन ही डेनमार्क व इंग्लैंड में नॉर्मन, नरगर कहलाये. 326 ई.पू. सिकंदर के भारत आक्रमण के समय उनके साथ उनकी प्रेमिका/पत्नी महारानी ताया भी थी. सिकंदर ने पोरस के साथ हुए समझोते को तोड़ा और पोरस को विध्वंश कर जाट युवतियों को बंदी बनाया तो सिकंदर को सबक सिखाने तक्षिला विश्वविद्यालय के चार स्नातकों ने सिकंदर की महारानी ताया का अपहरण किया था. इनमें देवका नैन भी एक था. [21] [22]
ठाकुर देशराज के अनुसार 'नेन' शाखा अनंगपाल तोमर के एक वंशज नैनसी के नाम पर चली. कालांतर में ये लोग डूंगरगढ़ तथा रतनगढ़ तहसील में आकर आबाद हुए. इनमें श्रीपाल नामक व्यक्ति का जन्म संवत 1398 (1341) में हुआ, जिनके 12 लड़के हुए, जिनमें राजू ने लद्धोसर, दूला ने बछरारा , कालू ने मालपुर, हुक्मा ने केऊ, लल्ला ने बीन्झासर और चुहड़ ने चुरू आबाद किया. [23] नैन गोत्र जाट यहाँ के प्राचीन निवासी हैं. [24]
जाट इतिहासकार भले राम बेनीवाल ने अपनी पुस्तक 'जाट योद्धाओं का इतिहास' में इस गोत्र का विस्तार से वर्णन किया है. उनके अनुसार यह चंद्रवंशी गोत्र है. यह जाटों के प्राचीनतम गोत्रों में से एक है. भले राम जी, ठाकुर देशराज के तंवर गोत्र से उत्पति के प्रमाण से सहमत नहीं हैं. नैन गोत्र इससे पहले भी अस्तित्व में था. राजस्थान में भिरणी गाँव जिला हनुमानगढ़ और बालेवास जिला हनुमानगढ़, राजस्थान में प्रचलित कहानी सच प्रतीत होती है. शमशेर सिंह पुत्र बलदेव सिंह अपनी ३३ पीढियों का खुलासा करते हैं जो सभी राजा अनंगपाल तोमर से जाकर मिलती हैं. राजा अनंगपाल के कोई लड़का नहीं था. जिस समय उनकी आयु ९० वर्ष थी उस समय ईरान देश के निष्कासित राजा क़यामत खां अपनी बेगम व जवान पुत्री शाहबानो के साथ अनंगपाल के दरबार में आया, वह जाट कौम का था और उसके परिवार ने ८ वीं सदी में इस्लाम ग्रहण किया था. क़यामत खां की जवान बेटी को हिन्दू बनाकर उसका नाम बदल कर सुमन देवी रखा और उससे शादी की थी तब उससे एक लड़का पैदा हुआ था. राजा के कुल पुरोहितों ने राजा को सलाह दी कि यह बच्चा राज्य के लिए अहितकर है. इस कारण राजा ने आया को हुक्म दिया कि उस बालक की हत्या कर दे लेकिन उस आया के मन में रहम आ गया तथा उस अबोध बालक को 'गौर' (गोबर आदि फैंकने का स्थान) में फेंक दिया. जब एक कुम्हार व कुम्हारी गौर में पहुंचे तो उन्होंने उस बालक को उठा लिया तथा गौर में मिलने के कारण इनका नाम गौर सिंह रखा जो बाद में मोहम्मद गौरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ. वह दिल्ली के राजा अनंगपाल क इकलोता पुत्र था तथा उसका गोत्र नैन था. इस गोत्र के बारे में जो वंशावली जाट इतिहास एवं समकालीन सन्दर्भ के लेखक प्रताप सिंह शास्त्री ने दी है वह शमशेर सिंह गाँव धमतान साहब जिला जींद, हरियाणा द्वारा दी गयी से मेल खाती है. [25]
आज नैनों के ५२ गाँव नरवाना क्षेत्र, पूरे हरयाणा, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं.
भास्कर न्यूज[26] त्न श्रीडूंगरगढ़/बिग्गा: गौवंश की रक्षा में डाकुओं से लड़ते हुए शहीद होने वाले लोक देवता वीर बिग्गाजी व वीर सायरजी के मेले एवं जागरण आयोजित किए जाते हैं। जाखड़ वंश के कुल देव वीर बिग्गाजी के धड़ देवली धाम बिग्गा व शीश देवली धाम रीड़ी में व नैण वंश के कुल देव सायरजी झुझार की शहादत स्थल बींझासर गांव में जागरण होता है वहां बने मंदिरों में दूर दूर से लोग आते हैं ।
नैण गोत्र का इतिहास: ठाकुर देशराज
ठाकुर देशराज [27] ने लिखा है ....चौधरी हरिश्चंद्र नैण जी ने अपने वंश का परिचय देने और अपने जीवन पर प्रकाश डालने के लिए “मेरी जीवनी के कुछ समाचार”, "संक्षिप्त जीवनी", और “मेरी जीवन गाथा” नामों से तीन प्रयत्न किए गए हैं। यह प्रयत्न जिस उत्साह से आरंभ किए गए हैं उससे पूरे नहीं किए गए हैं। मानो यह काम इन्हें बोझिल सा जंचा। ठाकुर देशराज को उनका यह अधूरा प्रयास भी बहुत सहारा देने वाला सिद्ध हुआ। उनके लेखानुसार उनका गोत्र नैण है। जो उनके पूर्व पुरुष नैणसी के नाम पर प्रसिद्ध हुआ। नैण और उनके पूर्वज क्षत्रियों के उस प्रसिद्ध राजघराने में से थे जो तंवर अथवा तोमर कहलाते थे। और जिनका अंतिम प्रतापी राजा अनंगपाल तंवर था।
ठाकुर देशराज [28] ने लिखा है ....तंवरों ने दिल्ली को चौहानों के हवाले कर दिया था क्योंकि अनंगपाल तंवर नि:संतान थे, इसलिए उन्होने सोमेश्वर के पुत्र पृथ्वीराज चौहान, जो कि उनका दौहित्र था, को गोद ले लिया था। हांसी हिसार की ओर जो तंवर गए थे उनमें से कुछ ने राजपूत संघ में दीक्षा लेली और जो राजपूत संघ में दीक्षित नहीं हुये वे जाट ही रहे। नैणसी और उनके तीन भाई नवलसी, दाडिमसी, कुठारसी भी जाट ही रहे। ये चार थम्भ (स्तम्भ) कहलाते हैं। नैणसी के वंशज नैण, नवलसी के न्योल, दाडिमसी के दड़िया, और कुठारसी के कोठारी कहलाए। चौधरी हरिश्चंद्र जी का कहना है कि मैंने इन तीन गोत्रों को पाया नहीं। ठाकुर देशराज ने इनमें से न्योल गोत्र के जाट खंडेला वाटी में देखे हैं। वहाँ के लोगों का कहना है कि दिल्ली के तंवरों में से खडगल नाम का एक राजकुमार इधर आया था उसी ने खंडेला बसाया जो पीछे कछवाहों के हाथ चला गया।
यह उल्लेखनीय है कि जाट लैंड पर इन चारों गोत्रों - नैण, न्योल, दड़िया और कोठारी की जानकारी उपलब्ध है। कृपया इन गोत्रों की लिंक पर क्लिक करें। [29]
इंद्रप्रस्थ से प्रस्थान: ठाकुर देशराज[30] ने लिखा है ....नैण गोत्र के कुछ लोगों ने इंद्रप्रस्थ से चलकर सरवरपुर बसाया और फिर भिराणी को आबाद किया। सरवरपुर जिसे अब सरूरपुर कहते बागपत तहसील में भिराणी बीकानेर की तहसील भादरा में है। कुछ समय पश्चात उन्हें भिराणी छोडकर जाना पड़ा।
भिराणी छोडकर जाना: ठाकुर देशराज[31] ने लिखा है ....भिराणी छोडकर जाने का कारण इस प्रकार बयान किया जाता है कि एक नैण युवक बालासर (बीकानेर इलाका) में ब्याहा गया था। वह अपने ससुराल गया। कुछ तरुण युवतियों ने मज़ाक में उसको सौते हुये चारपाई से बांध दिया। पाँवों में रस्सी डालकर रस्सी एक भैंसे की पूंछ में बांध दी और कांटेदार छड़ी से भैंसे को बिदका दिया। भैंसा भाग खड़ा हुआ। युवक घिसटता हुआ मर गया। बहुत दिनों के बाद भिराणी का एक नैण उसी गाँव होकर कहीं जा रहा था। तो उस युवक की विधवा ने ताना दिया कि नैण तो सब मुर्दा हैं वरना अपने लड़के का बदला क्यों छोड़ते। वह नैण वापस लौट गया और नैण लोगों को लाकर बालासर पर चढ़ाई कर दी। उन्होने बालासर में खूब मार-काट की। जब वे लौट गए तो बालासर के बचे-खुचे लोग पड़ौसियों को लेकर भिराणी पर चढ़ाई कर दी। उन्होने भिराणी को तहस-नहस कर दिया। तभी की यह लोकोक्ति मशहूर है – “छिम-छिम मेहा बरसा, छीलर-छीलर पाणी, नैण-नैण उडी गए, खाली रहगई भिराणी”।
इसी भांति बालासर पर एक लोकोक्ति है – “माहियाँ आवे रिड़कदी, लस्सी हो गई खट्टी। शीश न गूंथावदी, बालासर की जट्टी।:
अर्थात बालासर की जाटनियों ने मांग निकालना बंद कर दिया। तात्पर्य यह है कि वे सब विधवा हो गई।
यह घटना 14वीं शताब्दी की है। बचे-खुचे नैण भिराणी को छोडकर अनेक स्थानों पर जा बसे। चौधरी हरिश्चंद्र जी का कहना है कि उनके पूर्वजों में से राजू लधासर, दूला बछरारा, कालू मालूपुरा, हुकमा केऊ, और लालू बींझासर में आबाद हुये। इन गांवों मे केऊ तहसील डूंगरगढ़ (बीकानेर डिवीजन) और बाकी तीनों गाँव रतनगढ़ तहसील (बीकानेर डिवीजन) में हैं।
चौधरी हरिश्चंद्र नैण की वंशावली : ठाकुर देशराज[32] ने लिखा है .... चौधरी हरिश्चंद्र नैण का कहना है कि उनके दादा का नाम चैनाराम था। जो अपने पिता के एकलौते बेटे थे।
चैनाराम के 6 पुत्र हुये – 1. चेनाराम, 2. टोडा राम, 3. रामू राम, 4. धन्ना राम, 5. तेजा राम और 6. सुखाराम।
इनमें रामू राम (1848-1911 ई.) के 2 पुत्र हुये हिमताराम और हरिश्चंद्र। रामू राम का जन्म संवत 1905 में हुआ और 63 वर्ष की उम्र में संवत 1968 में स्वर्गवास हो गया।
ठाकुर देशराज [33] ने नैण वंश परिचय निम्न प्रकार से दिया है ....[p.335]: यह पहले लिखा जा चुका है कि नैण गोत तंवर घराने के एक मशहूर सरदार नैणसी के नाम पर विख्यात हुआ। नैणसी का समय संवत 1150 अथवा सन् 1100 के आस-पास बैठता है। क्योंकि इनके एक वंशज किशनपाल ने विक्रम संवत 1260 अर्थात सन् 1203 ई. में सरवरपुर नाम का एक गाँव बागपत के पास बसाया था। ऐसा भाटों की बही से जान पड़ता है। सरवरपुर आजकल सरूरपुर नाम से प्रसिद्ध है। किशनपाल नैणसी से 5वीं पीढ़ी में है। 20 वर्ष एक पीढ़ी का मानते हुये नैणसी का समय 1150 और 1160 संवत में बैठता है और ईस्वी सन् 1100 के आस-पास बनता है।
यही समय तवरों का दिल्ली से निष्कासन का है। हमने तंवर वंश की एक तवारीख में यह पढ़ा है कि चौहानों का दिल्ली पर अधिपति होते ही तंवर दिल्ली को छोड़ गए। कुछ तंवर टेहरी और गढ़वाल की तरफ गए। कुछ द्वाब और हरयाणा में फ़ेल गए। इतिहासकार ऐसा कहते हैं कि तंवर राजा अनंगपाल ने निस्संतान होने के कारण पृथ्वीराज चौहान को
[p.336]: गोद ले लिया था। यह घटना सन् 1200 के आस-पास की है। इसका मतलब है कि नैणसी तंवर जिसके नाम से नैण गोत्र विख्यात हुआ पहले ही दिल्ली छोडकर जा चुका था और कहीं दोआब में बस गया था। अथवा वह उधर तंवर राज्य का सीमांत सरदार रहा होगा। उसी के 5वीं पीढ़ी के वंशज किशनपाल ने सरवरपुर (अब सरूरपुर) को आबाद किया।
किशनपाल तक नैणसी की वंशावली इस प्रकार है: नैणसी के चुहड़ हुआ, चुहड़ के चोखा और लालू दो पुत्र हुये, चोखा के फत्ता और मूला दो लड़के हुये। इनमें फत्ता ने ही सरवरपुर (अब सरूरपुर) की नींव डाली। इस वंश में किशनपाल से 5वीं पीढ़ी में श्रीपाल नाम के एक प्रसिद्ध व्यक्ति हुये उसने संवत 1310 अर्थात 1253 ई. में भिराणी गाँव बसाया। यह गाँव बीकानेर डिवीजन की भादरा तहसील में अवस्थित है। किशनपाल के दो पुत्र हूला और काहना हुये। हूला के कालू और धन्ना दो पुत्र हुये। कालू के मूंधड़ और मूंधड़ का पुत्र श्रीपाल था। श्रीपाल के दो स्त्रियाँ थी मान और पुनियानी। मान के 6 पुत्र हुये – 1.दल्ला, 2.पेमा, 3.खीवा, 4.चेतन, 5.रतना और 6. पूसा। पुनियानी स्त्री से 5 पुत्र हुये – रामू, काहना, अमरा, गणेश, और हुक्मा।
[p.337]: इनमें से मान स्त्री से उत्पन्न खीवा को बालासर तहसील नोहर में मार दिया। इस घटना का विवरण पिछले पृष्ठों में कहीं आ चुका है। मान स्त्री के ज्येष्ठ पुत्र दूला से 1.आंभल, 2.मोती और 3.हनुमंता नाम के 3 पुत्र हुये। इनमें आंभल के भी 3 पुत्र हुये – 1.दल्ला, 2. काहन और 3. वीरू। वीरू के जो पूत्र हुआ उसका नाम प्रसिद्ध पुरुष श्रीपाल के नाम पर श्रीपाल ही रखा। इस श्रीपाल द्वितीय का जन्म संवत 1398 अर्थात सन 1341 ई. में हुआ। श्रीपाल द्वितीय के 12 पुत्र हुये – 1. राजू, 2. दूला, 3. मूला, 4. कालू, 5. रामा, 6. हुक्मा, 7. चुहड़, 8. हूला, 9. लल्ला, 10. चतरा, 11. फत्ता और 12. नन्दा।
इनामे से राजू ने संवत 1417 (1360 ई.) में लद्धासर, दूला ने बछरारा, कालू ने मालपुर, हुक्मा ने केऊ, लल्ला ने बींझासर बसाया। और चुहड़ ने चुरू आबाद किया।
इन 12 में से दूला के 3 पुत्रों का हमें पता चलता है – 1.राजू, 2.नंदा और 3. जीवन उनके नाम थे। राजू के 1. बुधा और 2. पेमा 2 पुत्र हुये। बुधा के 1. हरीराम और 2. सेवा दो पुत्र हुये। हरीराम ने संवत 1525 (1468 ई.) में बछरारा को फिर से आबाद किया क्योंकि बीच में झगड़ों के कारण बछरारा बर्बाद हो गया था। हरीराम के दो पुत्र 1.पूला और 2. तुलछा नामक हुये।
[p.338]: पूला के 1.सादा और 2.मुगला दो पुत्र हुये। मुगला ने संवत 1610 (1553 ई.) ने बछरारा में एक जोहड़ खुदवाया। जिसका वर्णन ठाकुर सकत सिंह ने सन 1939 ई. को अपनी उस गवाही में किया था जो उन्होने चौधरी हरीश चंद्र के क़दीम बिकानेरी होने के संबंध में तहसील रतनगढ़ में दी थी। सादा के दो पुत्र 1.आसा और 2.चतरा नामी हुये। आसा के 1.दासा और 2.लक्ष्मण हुये। दासा के 1.गोपाल, 2.भूरा और 3.पूरन तीन पूत्र हुये। गोपाल के 2 पुत्र 1.भारू और 2.रामकरण हुये।
भारू के दो स्त्रियाँ थी – जाखड़नी और खीचड़नी। जाखड़नी से 4 पुत्र हुये – 1.रायसल, 2.हर्षा, 3.हंसा और 4.दासा। खीचड़नी के 3 पुत्र हुये – 1.देदा, 2.खीवा और 3.जालू। हर्षा के लाला नाम का लड़का हुआ। उसके 2 लड़के 1.हेमा और 2.दामा हुये। हेमा के 4 लड़के हुये – 1.पूरन, 2.किशना, 3.हीरा और 4.हनुमंत।
पूरन के लड़के हनुवंत ने 2 शादियाँ की। एक ढाकी दूसरी खैरवी। ढाकी के दूल हुआ। दूल के 1.तेजा और 2.कालू दो लड़के हुये। खैरवी से 1.भागू, 2.जीवन और 3.ज्ञाना हुये। भागू के 1.दूदा, जीवन के 1.चेतन और 2.हरजी हुये।
हेमा के पुत्र किशना की ओलाद इस प्रकार है – किशना के 1.खेता, 2.उदा और 3.लिखमा। खेता की ओलाद खारिया तहसील सिरसा जिला हिसार में जा बसी। खेता के दो पुत्र 1.नाथा और 2.फूसा हुये। नाथा के 1.रावत, 2.पन्ना, 3.बहादुर और 4.ढोला नाम के चार पुत्र हुये।
[p. 339]: इनमें रावत के रामकरण जो कि इस समय मौजूद है। इनके बड़े लड़के श्री हेतरामजी हैं जो पंचायत विभाग में इंस्ट्रक्टर हैं।
पन्ना के 1.जगदीश और 2.देवीलाल हुये। यह मौजूद हैं और बहादुर जी भी जिंदा हैं। ढोला के सुख राम हुये। यह भी मौजूद हैं। फूसा के लूणा है। यह खारिया का खानदान है। किशना की औलाद में से उदा की संतान रामगढ़ उर्फ चंडालिया में आबाद है। जिनका विवरण इस प्रकार है – ऊदा के 1.भारू और 2.माला दो बेटे थे। भारू के 1.मामराज, 2.लूणा और 3.मगलू तीन पुत्र हुये। मामराज के 1.हेतराम और 2.शिवलाल हैं। लूना लाबल्द रहा। मगलू की संतान भी है। माला के जीसुख हुये जिनके मोती हुआ। मोती का लड़का मामन है, दौला के रावत है।
किशन के बेटे लिखमा के दो पुत्र हुये – 1.भौजा और 2.दौला। भोजा के 1.जेसा, 2.मोटा, 3.सांवल ओर 4.हरचंद हुये। हीरा के चेनाराम, चेनाराम के 6 बेटे – 1. चतरा, 2. टोडा, 3. रामू, 4. धन्ना, 5. तेजा और 6. सुक्खा हुये। चतरा के 3 बेटे – 1.रावत, 2.मोटा, 3.ताजा हुये। तीनों नि:संतान रहे। टोडा के 1.बींझा और 2.लूणा हुये। बीझा निस्संतान रहे। लूणा के 1.पेमा, 2.पोखर, 3.नारायण, 4.गीधा हुये जो बछरारा में आबाद हैं।
रामूराम जी के दो बेटे 1.हिमताराम और 2.हरीश चन्द्र हुये।
[p. 340]: हिमताराम के 1.रघुवीर सिंह और 2.त्रिलोक नामके दो लड़के हुये। हिमताराम का स्वर्गवास हो चुका है। हरीश चन्द्र जी इस समय 81 में चल रहे हैं। हरीश चंद्र जी के दो पुत्र 1.श्री श्रीभगवान और 2.वेदप्रकाश हैं। इनसे बड़े हरदेव जी थे जिनका स्वर्गवास हो गया है। इस समय तक श्रीभगवान के एक पुत्र है वीरेंद्र और वेदप्रकाश के एक पुत्री इन्दुरजनी।
धान्नाराम के 1.नंदा, 2.लक्ष्मण और 3.अर्जुन तीन पुत्र हुये। तेजा के 1.भानो और 2.लालू दो पुत्र हुये। सुखराम के रतनाराम हुये।
केऊ तहसील डूंगरगढ़ की आरंभिक कुछ नैन पीढ़ियों का पता नहीं चलता। इनमें से कोई सरदार केऊ से जेतासर में आबाद हुआ और वहाँ से तहसील राजगढ़ में पहाड़सर नाम का गाँव बसाया। इनमें फत्ता नाम का नैन सरदार हुआ। उसके तीन बेटे थे – 1.शोराम, 2.ऊदा और 3.आशा। शोराम के 1.चेतन और 2.बींझा दो पुत्र हुये। इनमें चेतन लाबल्द रहा। बींझा के 1.आदू, 2.खींवा, 3.देवा और 4.पदमा 4 पुत्र हुये। आदू के बघा हुये जो लाबल्द रहा। खींवा के साहिराम हैं। देवा के दीनदायल हुये जो लाबल्द रहा। पदमा भी लाबल्द रहा। शोराम ने संवत 1899 (1842 ई.) में धोलीपाल नामक गाँव तहसील हनुमानगढ़ को आबाद किया। उसकी संतान
[p. 341] सहीराम आदि आबाद वहाँ हुये। फत्ता की औलाद में से ऊदा ने सिख धर्म धारण कर लिया और वे उदयसिंह कहलाए। वे पटियाला चले गए वहाँ उन्होने 4 गाँव प्राप्त किए – उदयपुर, राजगढ़, जुलाहा खेड़ी, और करतारपुर। उदयसिंह के 3 बेटे हुये – 1.लहनासिंह, 2.हरनामसिंह और 3.गुरुमुखसिंह। इनमें लहनासिंह और हरनामसिंह लाबल्द रहे। गुरुमुखसिंह के नरनारायनसिंह और सुखदेवसिंह दो पुत्र हुये। नरनारायन सिंह लाबल्द रहे। इसलिए उन्होने अपने भतीजे सुखदायक सिंह को गोद लिया। इन लोगों ने पटियाला राज्य में बड़े-बड़े औहदे प्राप्त किए।
आसा जिनका दूसरा नाम टहलसिंह भी था लाबल्द रहा। इन लोगों के विशेष विवरण जानने के लिए “शमशेर खालसा का पटियाला दरबार” पृष्ठ 174-175 देखें।
नैनसी के कई पीढ़ी बाद दूदा और दो शोते हुये। उनकी औलाद के लोग खारिया में अब तक आबाद हैं। जिनमें से चौधरी हरीशचंद्र जी ने जिनको देखा है उनमें जो याद हैं वे हैं – एक जस्सू का खेता चौधरी जी के नज़दीकियों में से है। उनकी औलाद रामू और गोविंद थे। रामू के दो लड़के ऊदा और पतिराम थे। लूणा के बेटे मामराज और मामराज के बेटे गाँव में इस समय हैं। दूदा के 3 बेटे 1.चुहड़, 2.गोविंद 3....थे।
[p. 342]: चुहड़ के हीरा और भूधर हुये। भूधर के 1.राजू, 2.केसरा, 3.आदिराम और 4.राधाकिशन ये 4 पुत्र हुये। राजू के दो पुत्र 1.बहादुर और 2.हरदयाल हुये। बहादुर के बड़े लड़के रामजीलाल इस समय पंचायत विभाग में बड़े अधिकारी हैं। हीरा के 1.मामराज, 2.दाना, 3.शेरा और 4.भानी हुये। मामराज का कुनबा खूब बड़ा और फला-फूला है। इसी भांति दाना के भी काफी वंशज हैं। शेरा लाबल्द रहा। भानी के पुत्र का नाम जीसुख है। गोविंद के रामू और रामू के पन्ना हुये। पन्ना के बेटे पौते मौजूद हैं। ....के मगलू हुआ, मगलू के लेखु, और दल्लू दो बेटे हुये। दल्लु लाबल्द रहा। लेखु के संतान मौजूद हैं।
दूसरे खेता के दो बेटे हुये चेना और धन्ना, चेना के लेखु, गनेशा और मेघा हुये। इनकी संतान भी खारिया में मौजूद हैं। धन्ना के 1.तिलोका, 2.गंगाराम, 3.किशना और 4.सरवन 4 बेटे हुये। तिलोका का बेटा जगमाल है। बाकी इन सबकी औलाद खारिया में मौजूद हैं। उपरोक्त सभी सज्जनों के पुत्र-पौत्र हैं और शिक्षा दीक्षा भी बढ़ रही है।
नैनपाल - शमशेर सिंह की वंशावली
राजा आनंदपाल के दो लड़के थे. बड़े का नाम अनंगपाल तथा छोटे का नाम नैनपाल था. बड़ा बेटा होने के कारण अनंगपाल को दिल्ली की गद्दी मिली थी. छोटा बेटा नैनपाल राजकाज के अन्य काम देखता था. वह बड़ा सीधासादा तथा शील स्वभाव का था. कुछ लोगों का मानना है कि नैनपाल से नैन गोत्र शुरू हुआ. [34]
शमशेर सिंह गाँव धमतान साहिब, जिला जींद की वंशावली इस प्रकार है: 1. आनंदपाल → 2. नैनपाल (अनंगपाल का छोटा भाई)→ 3. थरेय → 4. थरेया → 5. थेथपाल → 6. जोजपाल → 7. चीडिया → 8. बाछल → 9. बीरम → 10. बीना → 11. रतुराम → 12. मोखाराम → 13. सोखाराम → 14. भाना राम → 15. उदय सिंह → 16. पहराज → 17. सिन्हमल → 18. खांडेराव → 19. जैलोसिंह → 20. बालक दास → 21. रामचंद्र → 22. आंकल → 23. राजेराम → 24. लालदास → 25. मान सिंह → 26. केसरिया → 27. बख्तावर → 28. बाजा → 29. फतन → 30. कलिया राम → 31. बल देव सिंह → 32. शमशेर सिंह → 33. सुमेर सिंह
नैणसी से हरीशचन्द्र तक की वंशावली
ठाकुर देशराज [35] ने बीकानेरीय जागृति के अग्रदूत – चौधरी हरीशचन्द्र नैण, 1964 पुस्तक में नैण वंश परिचय पृ 335-342 पर विस्तार से दिया है। यहाँ उनका वंश वृक्ष संक्षेप में निम्न प्रकार से दिया जा रहा है:
नैणसी (1100 ई.) → चुहड़ → चोखा → फत्ता (सरवरपुर= सरूरपुर की नींव डाली) → किशनपाल → हूला → कालू → मूंधड़ → श्रीपाल (1253 ई. में भिराणी गाँव बसाया) (+मान गोत्री पत्नी) → दल्ला → आंभल → वीरू → श्रीपाल द्वितीय (जन्म 1341 ई.) → राजू (1360 ई. में लद्धासर बसाया) + (भाई दूला ने बछरारा, कालू ने मालपुर, हुक्मा ने केऊ, लल्ला ने बींझासर बसाया और चुहड़ ने चुरू आबाद किया) राजू का भाई दूला → राजू → बुधा → हरीराम (हरीराम ने 1468 ई. में बछरारा को फिर से आबाद किया) → पूला → सादा (सादा के भाई मुगला ने 1553 ई. बछरारा में एक जोहड़ खुदवाया) → आसा → दासा → गोपाल → भारू (जाखड़नी से) → हर्षा → लाला → हेमा → हीरा → चेनाराम → रामूराम → हरीश चन्द्र (भाई हिमताराम ) → 1.श्री श्रीभगवान (पुत्र है वीरेंद्र) + 2.वेदप्रकाश (पुत्री इन्दुरजनी)
Distribution in Gujarat
Villages in Banas Kantha district
Distribution in Punjab
Villages in Patiala district
- Nain Kalan, Nain Khurd villages in Patiala tahsil in Patiala district in Punjab.
Nain population is 1,050 in Patiala district. [36]
Villages in Amritsar district
Villages in Firozpur district
Villages in Fazilka district
Village in Sangrur district
Village in Fazilka district
Distribution in Haryana
Central Haryana has 52+12 villages of Nain gotra in and around Jind and Hisar District.
Villages in Bhiwani district
Nain found in Dhani Mithi in Bhiwani.
Villages in Faridabad district
Villages in Karnal district
Villages in Kaithal district
Villages in Sonipat district
Kami, Bhadana, Rolad Latifpur, Naina Tatarpur, Bhadi,
Villages in Panipat district
Villages in Hisar district
Asraun, Balawas, Bugana, Hasangarh, Kanari, Kharia Hisar, Kharian, Khedar, Kherar, Kuleri, Litani, Mattarsham, Mehanda, Pabra, Panhari, Parbhuwala(प्रभुवाला), Sarsod,
Villages in Kurukshetra District
Naina, Beholi, Sirsma, Ishargarh, Mukarpur, Nandukhera,
Villages in Rohtak district
Villages in Sirsa district
Kaluana, Sultanpuria, Kharia, Ganga, Dhottar,
Villages in Fatehabad district
Baijalpur, Balianwala, Chindar, Dhanger, Gorakhpur, Kamalwala, Kanhari,
Villages in Jind district
Amargarh, Badanpur, Bagru Kalan, Baijalpur, Barodi, Barodi, Bhikhewala, Danoda Kalan, Danoda Khurd, Dhamtan Sahib, Dharodi, Frain Kalan, Hamirgarh, Kaloda Kalan, Kaloda Khurd, Kalwa (कालवा), Khardwal, Khraintee, Loan, Lohchab, Sacha Khera, Sulehra,
Villages in Rewari district
Distribution in Uttar Pradesh
Villages in Bulandshahar district
Villages in Bagpat district
Sarurpur Kalan, Basi, Gadhdi, Ladhwadi, Niraujpur Gurjar, Baghu,
Villages in Ghaziabad district
Villages in Hapur district
Khera near Simbhaoli sugar mill
Villages in Muzaffarnagar district
Villages in Saharanpur district
Amarpur Nain, Nainkhera, Nainpur Saiyyad, Nainsob Must., Nanauta (NP), Nain Kheri (Nakur), Nainsob,
Villages in Meerut district
Distribution in Delhi
In delhi Nain gotra is in 2 villages namely Jatkhod and Punjabkhod.
Distribution in Rajasthan
Villages in Barmer district
Balotra, Bhojasar, Chhitar Ka Par, Kundawa, Barmer, Sindhari, Dharasar,
Villages in Bikaner district
Beechhwal, Gigasar, Jetasar, Koobiya, Ridmalsar Purohitan, Ridi,
Villages in Churu district
Bachharara, Bhaini (Bhadra), Bhurawas, Dhana Bhakhran, Gaurisar, Gusainsar, Jodi, Kharatwas, Kilipura, Padampur, Rajpura Churu, Ranasar Beekan, Rewasi (taranagar tehsil), Sahwa, Satyun, Sirsali Churu, Tidiyasar (350),
Locations in Jaipur city
Himmat Nagar, Mansarowar Colony,
Villages in Jaipur district
Villages in Sikar district
Bau, Kachhwa, Laxmangarh, Rampura Srimadhopur, Udas,
Villages in Jhunjhunu district
Bisau, Dhamora, Kaliyasar, Kant, Sangasi,
Villages in Nagaur district
Akora, Bikharniya Khurd, Budsoo, Dabriya, Kalwa, Khangar, Mandookara, Sirsoon,
Villages in Jodhpur district
Bala Sati, Bisalpur, Jetiya Bas, Nandara Kalan, Nandwan, Tilwasani,
Villages in Sri Ganganagar district
Binjhbaila, Ghamudwali, Deenjhdayala, Dungar Singh Pura,
Villages in Hanumangarh district
Bhadi Hanumangarh, Bhirani, Bhakaranwali, Chindalia, Dholipal, Dingarh, Hanumangarh, Jorawarpura Hanumangarh, Jorkian, Lilanwali, Nagrana, Nand Ram Ki Dhani, Nathwana, Nimla Nohar, Pacca Saharana, Ramgarh, Rampura Matoria, Ratanpura, Rorawali, Saliwala, Sangaria,
Villages in Tonk district
Nen jats live in villages: Ajmeri (30), Aranya Kankad (2), Balapura Lawa (12), Balapura Tonk (3), Dechwas (6),
Villages in Karauli district
Villages in Pali district
Distribution in Madhya Pradesh
Bhopal, Manpur Indore, Jabalpur, Mandsaur,
Villages in Mandsaur district
Villages in Bhopal District
Villages in Nimach district
Villages in Ratlam district
Villages in Ratlam district with population of Nain (नैन) gotra are:
Malakheda 1, Rughnathgarh 1, Salakhedi 1, Sikhedi 1,
Villages in Ratlam district with population of Nen (नेण) gotra are:
Villages in Dewas district
Villages in Morena district
Villages in Gwalior district
Distribution in Pakistan
Nain - The Nain are a Mulla Jat clan. They were found in Patiala, Bhatinda and Hissar. Like other Mulla Jats, they moved to Pakistan after partition. They are now found mainly in Multan, Sahiwal and Okara districts.
Notable persons
- Nainsi (नैणसी) (1100 AD) was the originator of Nain clan. His brothers originated clans Nyol, Dadiya, Kothari etc.
- Shripal II (born 1341 AD) was a Nain clan ruler of Jangladesh. Sons of Shripal II Nain (born 1341 AD) founded villages - Ladhasar by Raju, Bachharara by Dula, Malpur by Kalu, Keu by Hukma, Beenjhasar by Lalla, Churu by Chuhar in 1360 AD.
- सायरजी झुझार - नैण वंश के कुल देव सायरजी झुझार की शहादत स्थल बींझासर गांव
- Amrit Nath Ji (1852-1916) - Son of Shri Chet Ramji, Gotra: Nain, Village: Bau, Laxmangarh, Sikar, Rajasthan, Sect: Naked, Nath
- Bhagirath Singh Nain - Hindi author from Jetiawas, Jodhpur
- Sateyndra Pal - Film Producer,Director in Bollywood from Village Basi, Baghpat
- Sepoy Bajrang Lal Nain - Martyr of Kargil war from Rajasthan
- Harish Chandra Nain - Freedom fighter[37]
- Brahm Singh Nain (1.1.1933-6.6.2011) - from Mandsaur city and district was a social worker. He was originally from village Sarurpur Kalan in district Bagpat of Uttar Pradesh.
- Rajendra Nain (d.31.12.2017) was from Gorisar village in Ratangarh tehsil of Churu district in Rajasthan. He became martyr of militancy on 31.12.2017 in a terrorist attack at Lethpora CRPF camp in Awantipora of Pulwama district in J&K. He belonged to 130th battalion of the force and was part of its elite Quick Reaction Team (QRT).
- Dr. Rajender Singh Nain - Scientist with Government of India, working at the Central Drug Research Institute, Lucknow.
- Ch. Shri Bhagwan Nain, Near Adarsh Cinema, Purani Abadi, Ganganagar, Ph:0154-2472662, Life Time Member Trustee Gramotthan Vidyapeeth Sangaria.
- Dr. Rajev I. Nain - Surgeon in Northern Virginia.
- Ms Navraj Nain - IAS 1982 batch[38]
- Magha Ram Nain - Social worker & Ex-President,Banar College, Pali from1975 - 1977.
- Pankaj Nain - IPS, 2007 Batch Village Khardwal (Narwana) Distt.-Jind, Haryana.
- "'RAJPAL NAIN"' - SDO, HSAMB Village Bhikhewala (NARWANA) distt. Jind, Haryana.
- Sh. Azad Singh Nain (Teacher, Haryana State Best Teacher Awardee 2008) Village Ajaib, Distt Rohtak, Haryana.
- Krishan Lal Nain - X.En. Irrigation, Date of Birth : 10-May-1952, VPO - Deenjhbayala Teh. - Padampur, Distt. - Sri Ganganagar Mob No. - 9461107998, Present Address : I B -4, Civil Lines, Near Dev School, Sri Ganganagar, Rajasthan, Phone Number :Mob: 9414007998, Email Address : avi.choudhary1@gmail.com
- Balkar Singh Nain - From Dhamtan Sahib.
- Vnod Nain- JO, Indian Oil Panipat Refinery (Marketing).
- Ch. Shamsher Singh Surjewala -
- Ch. Tek Chandra -
- Ch. Bhale Ram -
- Nisha Nain - Pilot, Resident of village Lohchab (Jind). The only girl in India to get this success. His father Jagdish Chandra Nain is warrat officer in Indian Air Force. (Jat Jyoti:4/2013).
- Nafe Singh Nain - Rashtriya Adhyaksh Sarva Jat Khap Panchayat.[39]
- Surjeet Singh Nain :- SDM Tohana HCS,
- Jaideep Nain--social worker
- Anu Nain, CDS 3 rank, is the first woman army officer from Gorakhpur village in Fatehabad district in Haryana.
- Arshia Nain - Fighter Pilot, Resident of village Basi, Baghpat. His father is Retd Col.Dinesh Nain. अर्शिया नैन इंडियन एयर फोर्स मैं पायलट बनी. आप यूपी के बागपत जिले के बसी गांव की मूल निवासी हैं और सन् 1965 युद्ध के वीर शहीद लांस नायक चौधरी सुखबीर सिंह नैन की आप पोत्री हैं. आपने बचपन से ही पायलट बनने का सपना देखा था और अपनी कठोर मेहनत योग्यता के बल पर आप आज भारतीय वायु सेना की पायलट बनकर अपना सपना पूरा किया. आपको 15 जून 2019 को हैदराबाद के डूंडीगर्ल स्थित इंडियन एयर फोर्स अकैडमी में आयोजित पासिंग आउट परेड में बेस्ट महिला खिताब से नवाजा गया. आप की ट्रेनिंग के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन को देखकर आपको यह बेस्ट महिला अवार्ड से दिया गया है और साथ ही वायु सेना ने आपको फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर तैनात किया है. यहां पर प्रकाशित की गई फोटोग्राफ्स आपकी पासिंग आउट परेड की है एवं आपके परिवार के साथ की है. ये सभी जानकारी हम जाट हैं फेसबुक पेज संपादक चौधरी चंद्र प्रकाश डूडी जयपुर के व्हाट्सएप मोबाइल नंबर 99291 99990 पर यूपी पुलिस के जवान एवं इनके गोत्र भाई राहुल नैन निवासी बागपत ने भेजी है.
- Pratap Nain
- Vinod Nain - Assistant Commandant in SSB.
- Jitendra Nain Sargam: S/O sri Kanwarsen village Basi, dist. Baghpat, UP. Dy.Superintendent of police. Working as CO Daurala, Meerut. Famous as encounter specialist with more than 40 encounters. (Source: Neeraj Nain Basi, Mob: 84452 59565)
- M. S. Nain : डिप्टी सेक्रेटरी हरयाणा गवर्नमेंट, चंडीगढ़, मो: 9417365533
- प्रेमसुख नैण: परबतसर निवासी प्रेमसुख नैण का देशभर में 19 वीं रैंक के साथ IES में चयन ।
- Garima Nain - From Jind, selected in World Bank.
- Rewantmal Nain - From RIDI , SHRI DUNGARGARH,Was a advocate and a social worker.
- Pradeep Nain (Lance Naik) became martyr of militancy on 06.07.2024 in Kulgam district of Jammu and Kashmir. He was from Jajanwala village in Narwana tahsil of Jind district in Haryana.
- स्वर्गीय चौधरी घासीराम जी नैन, जिन्होंने पूरे जीवन काल में किसान-मजदूर की आवाज उठाई और जो किसानों के सच्चे हितैषी थे
Gallery of Nain people
-
Nisha Nain, Pilot
-
Sepoy Bajrang Lal Nain (1975-1999)
-
Jitendra Nain Dy SP
-
Garima Nain
-
स्वर्गीय चौधरी घासीराम जी नैन
References
- ↑ B S Dahiya:Jats the Ancient Rulers (A clan study), p.241, s.n.154
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. न-15
- ↑ O.S.Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.46,s.n. 1379
- ↑ O.S.Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.47,s.n. 1424
- ↑ Jat History Thakur Deshraj/Chapter IX,p.695
- ↑ Jat Varna Mimansa (1910) by Pandit Amichandra Sharma,p. 56
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p. 7
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p. 9
- ↑ Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.18
- ↑ Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.18
- ↑ Jats the Ancient Rulers (A clan study)/The Jats, p.60
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p.337
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p.336
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p.337
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p.337
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- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p.337
- ↑ Jats the Ancient Rulers (A clan study)/Appendices/Appendix I,p.316-17
- ↑ A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/J,p.375
- ↑ भगवती चरण वर्मा:, फारस घटी की लडाई 556 ई.पू. एवं खून के छीटे
- ↑ भले राम बेनीवाल : 'जाट योद्धाओं का इतिहास', 2008, पृ.717 .
- ↑ ठाकुर देशराज, बिकानेरीय जागृति के अग्रदूत चौधरी हरिश्चंद्र नैन, पेज 335-337
- ↑ Dr Pema Ram, The Jats Vol. 3, ed. Dr Vir Singh,Originals, Delhi, 2007 p. 206
- ↑ भले राम बेनीवाल : जाट योद्धाओं का इतिहास, २००८, पृ.७१६ .
- ↑ भास्कर न्यूज 08/10/11
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p. 7
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p. 9
- ↑ Laxman Burdak (talk) 02:47, 31 July 2017 (EDT)
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p. 9
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p. 9-10
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p. 11
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- ↑ भले राम बेनीवाल : जाट योद्धाओं का इतिहास, २००८, पृ.७१७ .
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- ↑ History and study of the Jats. B.S Dhillon. p.126
- ↑ Mahendra Singh Arya et al: Adhunik Jat Itihas, p. 312
- ↑ Mahendra Singh Arya et al: Adhunik Jat Itihas, p. 337
- ↑ Jat Gatha, September-2015
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